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छत्तीसगढ़

जल स्तर हजार फीट से भी पहुंचा नीचे

पत्थलगांव । एक हजार फीट से भी नीचे पानी का ना मिलना लोगो की मुसिबत बढ़ा दिया है। काफी रकम खर्च करने के बाद भी लोगो को पानी मिलना मुश्किल हो गया है। भीषण गर्मी के बीच जल संकट काफी गहरा चुका है,कुंअे,तालाब के अलावा नदियां भी सुख चुकी है,शहर के भितर किलकिला की मांड नदी से जल आपूर्ति की जाती है,मांड नदी मे दूर-दूर तक एक इंच पानी दिखायी नही दे रहा,ऐसे मे नगर पंचायत के सामने शहर के लोगो को पानी उपलब्ध कराना एक बडी समस्या बन चुका है। नगर पंचायत इन दिनो किलकिला मांड नदी की रेत खोदकर जल संग्रहण करने की कोशिश कर रही है,किसी तरह नागरिको की जल आपूर्ति पूरी की जा सके इसके लिए नगर पंचायत किलकिला मांड नदी की सुखी रेत मे मशीन लगाकर गडढा खोदकर पानी निकाल रही है,जिससे लोगो की जल आपूर्ति बाधित ना हो,परंतु इस कोशिश से शहर के लोगो को पर्याप्त जल आपूर्ति नही की जा सकती। क्षेत्र का जल स्तर बेहद गिर जाने के कारण नये कुंअे या बोर मे भी पानी नही आ रहा। दो लाख रूपये से भी अधिक की रकम खर्च करने के बाद भी बोर मे पानी नही मिल रहा,जिससे लोगो की चिंता काफी बढ गयी है। यहा के समाजसेवी बबलू तिवारी का कहना था कि जल स्तर बढाने की ओर शासन प्रशासन ने कभी ध्यानाकर्षित नही किया। शहर के अंदर बनने वाले घर या अन्य बिल्डिंग मे वाटर हार्वेस्टिंग की अनिवार्यता लागू कर दी जाती तो शहर का जल स्तर बढाया जा सकता था। उनका कहना था कि भीषण गर्मी के बीच घटते जल स्तर के खतरे से निपटने के लिए पूर्व मे तैयारी नही की जाती है तो यह समस्या आगे चलकर और विकराल रूप ले लेगी।।
एक दशक पूर्व शहर के नजदीक ग्राम बुढाडांड मे जलाशय बनाने का प्रोजेक्ट पास किया गया था,लगभग 30 करोड रूपये की लागत से बनने वाले जलाशय के पानी से 30 से भी अधिक गांव लाभांवित होते। 2200 से अधिक किसानो के खेतो मे इस जलाशय से पानी की आपूर्ति की जाती,परंतु जलाशय निर्माण का काम शुरू होने से पहले ही बंद हो गया। बुढाडांड का जलाशय बनता तो लाभांवित होने वाले गांव मे पत्थलगांव का भी नाम जुडता। इस जलाशय के निर्माण से शहर का वॉटर लेबल काफी बढ जाता,जिससे लोगो के सामने भीषण गर्मी के दिनो मे जल स्तर घटने की समस्या उत्पन्न नही होती।।
जलाशय निर्माण को लेकर सौंप रहे ज्ञापन-:बुढाडांड का जलाशय बनाने के लिए एक बार फिर नागरिको ने कमर कस ली है। पिछले दिनो शहर के नागरिको ने विधायक गोमती साय को बुढाडांड जलाशय की पुन: स्वीकृति दिलाने की मांग की। बताया जाता है कि बुढाडांड जलाशय का निर्माण ना होने के पीछे जलाशय से प्रभावित होने वाले वैसे किसान थे जो कई एकड सरकारी जमीन मे काबिज होकर सरकार से सरकारी जमीन का ही मुआवजा मांग रहे थे,जिसे सरकार किसी हालत मे मानने को तैयार नही थी,किसानो की जिदद के कारण अंत मे बुढाडांड जलाशय परियोजना का काम बंद करना पडा।।

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