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खेल – मनोरंजन

खेल प्रतिभाओं की खोज की नई रणनीति जरूरी

खेलो इंडिया कार्यक्रम-प्रधानमंत्री की पहल का नतीजा

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
खेलकूद में अंतिम परिणाम हार या जीत के रूप में आती है। आमतौर पर यह स्वीकार किया जाता है कि विजयी वही होता है जो सबसे अच्छा खिलाड़ी होता है या टीम होती है। यह अवधारणा लंबे समय से चली आ रही है लेकिन अब उसमें कुछ और जोड़ी जा सकती है।जैसे कोई प्रतिभागी या टीम मैच के दिन अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगी तब संभव है सफलता उन्हें मिलेगी। कभी- कभी यह देखा गया है कि कमजोर टीम या खिलाड़ी अपने से बेहतर विपक्षी को परास्त कर देते हैं। कुल मिलाकर पदक प्राप्त करने वाले भाग्यशाली भी होते हैं। हमारे देश के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन को फिलहाल बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता है। विश्व स्तरीय स्पर्धाओं में हमारे खिलाड़ी पदक की दौड़ वाले इवेंट में अंतिम समय फिसड्डी साबित होते हैं। इसका सबसे सही उत्तर है कि खिलाडिय़ों का मनोबल अस्थिर हो जाता है। आजादी के बाद 2014 तक भारतीय खेलकूद आकाश में ऐसे प्रतिभागियों के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं किया गया है।लेकिन 26 जून 2014 को लोकतांत्रिक भारत के राजनीतिक कप्तान बदलते ही तस्वीर साफ हो गई।
प्रधानमंत्री के रुप में नरेन्द्र मोदी आज भारत की छवि को पूरी दुनिया में मजबूत करने की शुरूआत कर चुके हैं। इसमें खेलकूद का क्षेत्र भी शामिल है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलकूद में भारतीयों की पराजय को उन्होंने गंभीरता से लिया और सबसे त्वरित निर्णय लिया कि भारत के खेलमंत्री के रूप में निशानेबाज, ओलंपियन राज्यवद्र्धन सिंह राठौर को भारत का खेलमंत्री नियुक्त किया जाए। 1947 के बाद से भारतीय प्रतिभागियों/ विभिन्न टीम खिलाडिय़ों पर पराजय के लिए समिति गठित की जाती थी परंतु इस तरह के समिति की सिफारिश की तरफ कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था जिसका परिणाम विश्व स्तर पर असफलता के अलावा और कुछ नहीं होता था लेकिन कर्नल राज्यवद्र्धन सिंह राठौर ने गंभीरता से लिया और भारतीयों की पराजय का प्रमुख कारण प्रतिभाओं की उपेक्षा, प्रशिक्षण का अभाव रहा। इस कमी को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खेलो इंडिया कार्यक्रम का आरंभ करने का निश्चय किया। खेलो इंडिया कार्यक्रम में जूनियर, सीनियर देश, बीच,विंटर, गेम्स को शामिल किया गया। इसके लिए कम उम्र के बच्चों से लेकर सीनियर वर्ग के खिलाडिय़ों को सम्मिलित किया है। फिलहाल खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2018 से 2023 तक, खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2020, 2022,2023, खेलो इंडिया विंटर गेम्स 2020,2021, खेलो इंडिया बीच गेम्स-2023,खेलो इंडिया पेरा गेम्स-2023 आयोजित किया जा चुका है।
इन स्पर्धाओं में उदयीमान खिलाडिय़ों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए राष्ट्रीय स्तर का मंच मिलता है। देखने में यह आ रहा है कि छत्तीसगढ़ के खिलाडिय़ों की उपलब्धि खेलों इंडिया गेम्स में असंतोषजनक है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है? यह प्रश्न गंभीर है परंतु चूंकि यह आयोजन भारत सरकार के खेल विभाग का है अत: छत्तीसगढ़ सरकार भारतीय खेल विकास प्राधिकरण की छत्तीसगढ़ इकाई तथा भारतीय ओलंपिक संघ की छत्तीसगढ़ इकाई को इसके लिए सीधे जिम्मेदार ठहराया जा जाता है। छत्तीसगढ़ में दिसंबर 2023 में भाजपा की नई सरकार के सत्त्तारुढ़ होने के साथ ही मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय तथा खेल मंत्री टंकराम वर्मा पर बड़ी जिम्मेदारी आ गई है। चूंकि छत्तीसगढ़ का खेल विभाग और भारतीय ओलंपिक संघ तथा साईं की इकाई तीनों ही सक्रिय हैं अत: जरूरी है कि वे आपस में मिल जुलकर खेलो इंडिया स्पर्धा के माध्यम से छत्तीसगढ़ का नाम रौशन करने की पूरजोर कोशिक करेंगे। पिछली सरकार ने प्रदेश में छत्तीसगढ़ खेल विकास प्राधिकरण का गठन किया था। इस प्राधिकरण को खेलो इंडिया कार्यक्रम के देखरेख की जिम्मेदारी देना चाहिए और अध्यक्ष को छोड़कर सचिव व सदस्यों में छत्तीसगढ़ के प्रमुख खेल विशेषज्ञों,पूर्व अंतर्राष्ट्रीय खिलाडिय़ों,निर्णायकों,खेल पत्रकारों को नियुक्त किया जाए तो हमारे प्रदेश के खेल परिदृश्य का कायकल्प हो सकेगा।

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