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छत्तीसगढ़

उपार्जन केन्द्र में धान जाम, खाने लगे चूहे

पत्थलगांव । धान उपार्जन केन्द्र मे जमा धान को अब चुहे खाने लगे है। डी.ई.ओ ना कटने की स्थिती मे राईसमिलर भी धान नही उठा पा रहे। धान उठाने की धीमी गति के कारण अब धान मे सुख्ती,बेमौसम बारिश और चुहो का खतरा मंडराने लगा है। क्षेत्र की एक दर्जन सोसायटीयों मे तीन लाख टन धान जाम होने का अंदाजा लगाया जा रहा है,ऐसे मे प्रबंधको के सामने धान सुरक्षित रखने की काफी परेशानी खडी हो गयी है। बताया जाता है कि धान खरीदी बंद होने के साथ ही उपार्जन केन्द्र से धान का उठाव भी बंद हो चुका है,जिसके कारण क्षेत्र की दस सोसायटीयों मे लगभग तीन लाख टन धान जाम पडा है,प्रबंधको की माने तो अब उनके सामने धान को सुरक्षित रखने की परेशानी आ रही है। सबसे अधिक मार इन दिनो धान मे सुख्ती की पड रही है,धान सुखने की स्थिती मे उसकी भरपाई प्रबंधको को करनी पड जायेगी। जाम धान मे दूसरी सबसे बडी मार चुहो की आ रही है,धान उपार्जन केन्द्र मे इन दिनो चुहे कई क्विंटल धान बर्बाद कर चुके है,जिसके कारण प्रबंधक जाम धान के उठाव को लेकर काफी परेशान दिखायी दे रहे है। इधर शासन के नियमो का हवाला दिया जाता है तो धान उपार्जन केन्द्र मे धान खरीदी के 72 घंटे बाद ही धान का उठाव करना जरूरी रहता है,परंतु इन दिनो डी.ई.ओ कटने के अलावा राईस मिलर भी धान का उठाव करने मे दिलचस्पी नही दिखा रहे।।
पीछे दरवाजे से धान की बिक्री बंद-:धान की खरीदी बंद होने के साथ ही धान का उठाव बंद होने के पीछे राईसमिलरो द्वारा पीछे दरवाजो से धान की अवैध बिक्री भी बतायी जा रही है। पिछले दिनो ऐसे ही कुछ मामले सामने आये थे,जिसमे राईसमिलरो द्वारा धान उपार्जन केन्द्र से धान उठाकर उसकी अवैध रूप से बिक्री की जा रही थी,परंतु उपार्जन केन्द्र मे 4 फरवरी के बाद से धान की खरीदी बंद होजाने के कारण अब राईस मिलर भी पीछे के दरवाजे से मिलिंग का धान नही बेच पा रहे।।
तीन लाख क्विंटल धान जाम-:यहा की लगभग दस सोसायटीयों की बात करें तो पत्थलगांव धान उपार्जन केन्द्र मे 10 हजार क्विंटल धान अब भी जाम है। वही लुडेग मे 15 हजार क्विंटल,डूमरबहार मे 30 हजार क्विंटल,काडरो मे 30 हजार क्विंटल, घरजियाबथान मे 40 हजार क्विंटल,तमता मे 21 हजार क्विंटल,किलकिला मे 26 हजार क्विंटल,केराकछार में 18 हजार क्विंटल,कोतबा मे 50 हजार क्विंटल एवं बागबहार मे 28 हजार क्विंटल धान अब भी जाम की स्थिती मे रखा हुआ है।

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