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छत्तीसगढ़

गुरु गोविंद सिंह जयंती के पहले नगर में सिक्ख समाज की निकल रही प्रभातफेरी

पत्थलगांव । गुरू गोविंद सिंह जयंती को लेकर सिक्ख समाज द्वारा रोज सुबह प्रभातफेरी निकाली जा रही है,शबद कीर्तन की धुन पर प्रभातफेरी शहर के तीनो मुख्य मार्गो का भ्रमण करती है,इस दौरान प्रभातफेरी सिक्ख समाज के प्रतिष्ठीत लोगो के घर पर शबद कीर्तन करते हुये वहा जलपान की भी व्यवस्था करायी जाती है। प्रभातफेरी वापस आकर गुरूद्वारा मे ही विश्राम लेती है। 17 जनवरी दिन बुधवार को सिक्खो के दसवें गुरू गोविंद सिंह की जयंती गुरूद्वारा साहेब मे हर्षोउल्लास के साथ मनायी जायेगी। कई दिनो से यहा शबद कीर्तन की धुन सुनायी दे रही है,दिन बुधवार को गुरूद्वारे मे अटूट लंगर का भी आयोजन किया गया है,गुरूसिंग सभा के अध्यक्ष इंदरजीत सिंह भाटिया(कुक्कु) ने बताया कि गुरू गोविंद सिंह गुरू तेग बहादुर के पुत्र थे,बाल्याकाल से ही उनकी बहादुरी जगजाहिर थी,गुरू तेग बहादुर ने कश्मीरि पंडितो की रक्षा मे अपनी शहीदी दी थी,वही उनके पुत्र गुरू गोविंद सिंह ने हमेंशा सनातन संस्कृति की रक्षा करते हुये स्वयं के अलावा अपने चार साहेबजादो का भी बलिदान दे दिया था। यही कारण है कि भारत सरकार द्वारा चार साहेेबजादो की शहीदी पर वीर बाल दिवस की शुरूवात करायी। उन्होने बताया कि गुरू गोविंद सिंह हमेंशा से मुगलो के अन्याय के खिलाफ सनातन समाज के साथ खडे रहते थे,उनका जन्म बिहार के पटना मे हुआ था,उन्होने जुल्म एवं अन्याय के खिलाफ ही खालसा पंथ की स्थापना की थी,इस कारण उनकी जयंती को सिक्ख समाज प्रकाश पर्व के रूप मे भी हर वर्ष मनाते है। उन्होने बताया कि गुरू गोविंद सिंह बहादुरी की मिसाल थे,यही वजह है कि उनके पिता गुरू तेग बहादुर सिंह एवं गुरू गोविंद सिंह के चार पुतर्् ने सनातन संस्कृति की रक्षा करते हुये अपने प्राण त्याग दिये।

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