नहीं चला कर्ज माफी और गृह लक्ष्मी योजना का जादू
राजिम । रविवार को विधानसभा चुनाव परिणाम सुबह के बाद से दोपहर 12:00 बजे तक स्थितियां साफ होती गई। राजिम और अभनपुर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के आगे रहने की खबर सुनकर लोग पटाखे फोड़ तथा मिठाई खिलाकर खुशियां मनाएं। अपराह्न 2:00 बजे तक अभनपुर विधानसभा की स्थिति साफ हो गई तथा राजिम विधानसभा से रोहित साहू का जितना लगभग तय हो गया। आपस में चर्चा करते रहे और लोगों ने कहा कि कांग्रेस की कर्ज माफी का जादू नहीं चला। वैसे भी दोनों विधानसभा क्षेत्र नदी के दो पाट पर है। मंडी मार्केट से लेकर लगभग अधिकांश कार्यों के लिए समानताएं देखी जाती है। सुबह से लोग टीवी के सामने समाचार चैनल पर चिपके रहे। इसके अलावा मोबाइल पर भी लाइव प्रसारण देखते रहे। फोन करके भी एक दूसरे से जानकारियां एकत्रित करते रहे लोगों से बात करने पर यह बात उभर कर सामने आई कि राजिम जिला की मांग चरम पर थी लेकिन दोनों विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के कद्दावर विधायक होने के बाद भी उन्होंने ध्यान नहीं दिया और तो और जनता मांग करती रही और दोनों विधायक इधर-उधर का बात कर टालते रहे जिनका खामियाजा दोनों को भुगतना पड़ रहा है। जनता ही सर्वोपरि है यदि उनकी मांग नहीं मानी गई तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा देते हैं। वैसे भी यह धर्मनगरी है हर दृष्टिकोण से जिला बनने के काबिलियत रखते हैं बावजूद इसके जिला के लिए दोनों विधायकों ने रत्ती भर प्रयास नहीं किया। पिछले दो मांघी पुन्नी मेला में मुख्यमंत्री के भाषण से पहले जनता दोनों विधायक की ओर निहारते रहे कि राजिम जिला की मांग जोर शोर से उठाएंगे परंतु इन्होंने इधर-उधर की बात करके समय का महत्व नहीं समझा और एक ने भी राजिम जिला की बात नही किया जनता बहुत रुष्ट हुए परंतु इन दोनों को जनता की फिक्र नहीं बल्कि अपने आका को खुश करने की पड़ी थी जिसका नतीजा देखी जा रही है राजिम विधायक ने तो अप्रैल में हुए सर्वदलीय बैठक में क्लियर कर दिए थे कि मुख्यमंत्री जब कभी भी आएगा मैं पूरी ईमानदारी से राजिम जिला की मांग रखूंगा इस दौरान मुख्यमंत्री एक कार्यक्रम में राजिम आए रात्रि विश्राम भी किया परंतु उन्होंने जिले की मांग नहीं रखी जिससे जनता अपने आप को छला महसूस किया। बताना जरूरी है कि राजिम नवापारा दोनों क्षेत्र को मिलाकर एक बड़ी आबादी कवर करती है। राजिम नवापारा को जिले बनाने की मांग को स्वीकारते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा था कि जब कभी भी नए जिला बनाया जाएगा उसमें इनका नाम होगा। इस बात का भरोसा संत कवि पवन दीवान को दिया गया था। भरोसा को पूर्ण करने की पुरजोर प्रयास जनता ने भूपेश बघेल से किया लेकिन भूपेश ने भरोसा को ही दरकिनार कर दिया जिसका मलाल यहां के लोगों को था। सन् 2018 में भूपेश की सरकार बनते ही राजिम कुंभ को हटाकर माघी पुन्नी मेला कर दिया। इसका समर्थन राजिम के विधायक ने भी किया लेकिन जनता को बहुत खला लाखों लोगों की आस्था पर सरकार ने चोट किया। कुंभ मेला के जरिए राजिम और छत्तीसगढ़ का नाम देश-विदेश में तेजी के साथ फैल रहा था जिस पर विराम लग गया। भाजपा के जीतने के बाद आज लोगों ने अपनी भड़ास जमकर निकलते हुए कुछ लोगों ने कहा कि अवैध रेत उत्खनन तेजी के साथ हो रहा है नदी का छाती चीरा जा रहा है। शासन प्रशासन और सरकार मौन है। एक आदमी ने कहा कि राजीव युवा मितान क्लब का कांग्रेसीकरण हुआ है। गौठान समिति में टोटल कांग्रेस के लोग ही हैं। जितने मुंह उतनी बात हो रही थी लेकिन यहां के लोगों को तो राजिम जिला बनाना है। गत दिनों चुनाव प्रचार के दौरान असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा शर्मा राजिम में चुनावी भाषण दिया पश्चात पत्रकार वार्ता में एक संवाददाता ने उनसे प्रश्न किया कि आपकी सरकार आती है तो क्या राजिम जिला बनेगा। इस पर उन्होंने कहा कि सरकार आने दीजिए राजिम का भला ही होगा। चंदूलाल और चुन्नीलाल जैसे लोग रहते हुए मांग क्यों पूरा नहीं होगा। और अब तो अभनपुर विधानसभा से इंद्र कुमार साहू और राजिम विधानसभा क्षेत्र से रोहित साहू विधायक बन चुके हैं दोनों विधानसभा ने भाजपा को जिताकर कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
शुरूआती राउंड में रोहित साहू पिछड़े उसके बाद तो बढ़त बनती रही
राजिम विधानसभा चुनाव का परिणाम इस बार बहुत दिलचस्प रहा। हर एक की जुबान से परिणाम जानने की उत्सुकता ने सुबह से लेकर शाम तक मोबाइल से चिपका कर रखा। लोग अपने काम को छोड़कर टेलीविजन के पास बैठे रहे और चारों राज्य के परिणाम पर अपनी नजऱें गड़ाए हुए थे। अमितेश शुक्ल के परिवारवाद का जादू नहीं चला। उनके स्थानीयता होने के बात पर मतदाताओं ने विराम लगा दिया। कांग्रेस बनाम भाजपा ने इस बार कड़ी टक्कर दी है और अंतत: भाजपा की जीत हो गई। बता देना जरूरी है कि जब से छत्तीसगढ़ राज्य बना है तब से लेकर तीन का आंकड़ा भाजपा के लिए बहुत अच्छा हुआ है। छत्तीसगढ़ राज्य बनते ही अमितेश शुक्ल पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री बने। सन् 2003 के विधानसभा चुनाव में उनके मंत्री रहते हुए भी भाजपा के नए प्रत्याशी चंदूलाल साहू ने करारी शिकस्त दी। उसके बाद सन् 2013 में भाजपा के ही नए प्रत्याशी संतोष उपाध्याय ने अमितेश शुक्ला को पराजित किया और अब सन् 2023 के विधानसभा चुनाव में जिला पंचायत सदस्य रहे रोहित साहू भाजपा ने 11911 मत से कांग्रेस के अमितेश शुक्ला को हार का रास्ता दिखा दिया है। मतगणना की शुरुआती दौर पर हालांकि अमितेश शुक्ल आगे रहे उसके बाद जब रोहित साहू ने बढ़त किया पश्चात निरंतर बढऩे और घटने का दौर चलता रहा।दसवें राउंड में भाजपा को कुल 3915 मत से बढ़त मिली। 13 वें राउंड में 6634 मत से रोहित साहू आगे रहे। 14वें राउंड पर भाजपा को कुल 9841 मत से आगे रहने का मौका मिला। 15 में 11538 मत, 16 में 12308 वोट से आगे रहे। 17वें राउंड में भाजपा ने 11403मत,18 राउंड में 10730 वोट से आगे रहे। इस तरह से अंतराल काम हो गया लेकिन 19 वें राउंड में फिर बढ़त बना ली और 11358 मत से आगे रहे। 20 वें और अंतिम राउंड में 11911 मत से जीत गए। रोहित साहू के जीतने के बाद उन्हें बधाई देने वालों का उनके निवास पर तांता लग गया। शहर में आतिशबाजी शाम रात तक होती रही। इसके अलावा गांव में भी आतिशबाजी के साथ भारतीय जनता पार्टी जिंदाबाद के नारे लगाते रहे और मिठाई खिलाकर बधाई देने का दौर रात तक चला।
विधानसभा चुनाव में कृषि अग्रणी और महिला बाल्हुल्य वाले जिले गरियाबंद में कांग्रेस को पूरी उम्मीद थी की कर्ज माफी की घोषणा और गृह लक्ष्मी योजना का लाभ कांग्रेस को मिलेगा लेकिन गरियाबंद जिले की जनता ने इसे सिरे से नकार दिया। जिले में 70 फीसदी आबादी किसानों की होने के बाद भी कांग्रेस अपनी घोषणाओं से इन वोटो को अपने पक्ष में साधने में नाकाम रही।