जिम्मेदार कौन? कैसे होगी मुफ्त शिक्षा?
छुरा । छत्तीसगढ़ राज्य बने लगभग 22 से 23 साल हो गए हैं जिसमें भाजपा, कांग्रेस दोनों की सरकार रहे एवं चुनाव के आते ही दोनों पार्टी के लोग सभी वर्गों के लिए योजनाओं की घोषणा लगातार कर रहे हैं किंतु कितना लागू होगा यह तो समय पर पता चलता है ? किंतु वनांचल क्षेत्र में शिक्षा का हाल बेहाल है हम भले कितने हैं बड़े दावे कर ले, किंतु क्षेत्र में जाने पर पता चलता है कि सरकार वनांचल क्षेत्र में शिक्षा को लेकर कितना गंभीर है, प्रतिवर्ष छत्तीसगढ़ सरकार का बजट बढ़ रहा है किंतु आखिर बजट कहां जा रहा है ? राजधानी से महज 100 किलोमीटर की दूरी पर है अब यहां तक सरकार नहीं पहुंच पा रही है तो कैसे अंदाजा लगाये कि प्रदेश की अंतिम छोर पर सरकार मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराती होगी ? आज के 5त्र के जमाने में बच्चों को पढऩे के लिए साइकिल स्टैंड और पंचायत भवन के कमरों का सहारा लेना पड़ रहा है इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि क्षेत्र के जनप्रतिनिधि अपने कर्तव्यों को लेकर कितने जिम्मेदार है? ग्राम पेंड्रा में 2006-07 में हाई स्कूल का संचालन प्रारंभ हुआ है और हायर सेकेंडरी में क्रमश: उन्नयन हुआ है उसके लिए अतिरिक्त कक्ष जिसमें छोटे-छोटे तीन कमरे एक बरामदा में 9 वीं से लेकर 12वीं की कक्षाएं, 11वीं 12वीं की विभिन्न संकाय संचालित है, सब अधिकारी जानते हैं कि 11वीं 12वीं के विभिन्न संख्याओं के संचालन के लिए अलग-अलग क्लास रूम के साथ-साथ प्रयोगशाला, पुस्तकालय, छात्र-छात्राओं के लिए कमरे, शिक्षकों के लिए कमरा, प्राचार्य के लिए कमरा सहित छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग प्रसाधन की विभिन्न आवश्यकताएं होती है।किंतु क्षेत्र के उच्च अधिकारी की शायद क्षेत्र का दौरा करके बात कर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं किंतु मुख्य मार्ग में है यह स्कूल संचालित है किंतु किसी का ध्यान अब तक नहीं गया है, यहां पर चारों कक्षाओं में 175 छात्र-छात्राएं अध्यनरत है जिनकी बैठने के लिए जगह नहीं है, ठंड में तो पेड़ के नीचे कक्षाएं लगती है और आज बच्चों के साइकिल स्टैंड के लिए बनाए गए सेट में 11वीं की 12वीं की कक्षाएं लग रही है साथ ही विगत कई सालों से ग्राम पंचायत के सरपंच कक्ष एवं सभा कक्षाएं लगती है, क्षेत्र के ग्रामीणों से चर्चा करने पर बताएं कि कार्यालय के अलावा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को भी स्कूल की समस्याओं से अवगत कराया गया है किंतु अभी भी क्या स्थिति है यह देखा जा सकता है किसी को बताया नहीं जा सकता, इस संबंध में विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार उच्च कार्यालय द्वारा लगातार विभिन्न स्कूलों की जानकारी मांगी जाती है और उन्हें हर वर्ष बताया जाता है कि इन स्कूलों में भवन की आवश्यकता है उसके पश्चात आगे की कार्रवाई उच्च अधिकारी एवं मंत्रालय स्तर की रहती है, लोग यहां समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर क्षेत्र के भोले भाले आदिवासी बच्चों के साथ इस तरह का अन्याय आखिर क्यों किया जा रहा है ?