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छत्तीसगढ़

तीर्थ व पर्यटन स्थलों में रही लोगों की भीड़

धर्म नगरी में संडे रहा फन-डेे
राजिम । सावन की दूसरे रविवार को शहर की सभी सड़कें हाउसफुल रही राजधानी रायपुर से गरियाबंद देवभोग जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130 सी, राजिम से छुरा, महासमुंद से राजिम की सड़कें चार पहिया एवं दोपहिया वाहनों से भरी रही। उल्लेखनीय है कि अधिकतर वर्षा काल में लोग घूमने के लिए वाटरफॉल के अलावा जंगलों पर स्थित दैविय स्थल पर ज्यादा फोकस करते हैं। वैसे धर्म नगरी राजिम के त्रिवेणी संगम स्थित पंचमुखी कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर में बड़ी संख्या में दर्शनार्थी पहुंचते रहे। भगवान राजीवलोचन मंदिर के साथ ही विभिन्न मंदिरों का दर्शन तथा त्रिवेणी संगम स्नान किए। नदी के तट पर स्थित वीआईपी मार्ग में गाडिय़ों की रेलमपेल रही तथाअच्छी खासी भीड़ देखने को मिली। बताना होगा कि इस बार पुरुषोत्तम मास 18 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है जो बुधवार 16 अगस्त तक पूरे 30 दिनों के लिए होगा। जानकारी के आधार पर प्रत्येक 3 वर्ष में एक माह बढ़ जाता है जिसे पुरुषोत्तम मास का नाम दिया गया है। इस मास में धर्म-कर्म इत्यादि बड़ी संख्या में किए जाते हैं। इस बार सावन में ही यह मास पड़ा हुआ है। राजिम क्षेत्र के आसपास बड़ी संख्या में पर्यटन एवं तीर्थ स्थल है जहां लोगों के आने जाने का सिलसिला बढ़ गया है। शहर से ही करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर जतमई देवी स्थल है। 22 किलोमीटर पांडुका उसके बाद गांव से होते हुए आगे पहाड़ी पर जतमई धाम है। यहां देवी माता के दर्शन के साथ ही तकरीबन 35 फीट ऊंचाई से गिरते हुए झरना लोगों के शरीर में ताजगी भर देती है। दर्शन करने के लिए आए दर्शनार्थी तथा पर्यटक खूब नहाने का मजा लेते हैं। इसी तरह से कुछ ही दूरी पर घटारानी देवीय स्थल है। यहां पहुंचने के लिए जतमई से ही तकरीबन 5 किलोमीटर की दूरी पर घटारानी पहुंचा जाता है इसके अलावा छुरा रोड से होते हुए तकरीबन 33 किलोमीटर की दूरी पर घटारानी जंगल में विराजमान है। जतमई जैसे ही यह देवीय स्थल में ऊपर से नीचे गिरते हुए झरना मनोरम दृश्य पल्लवित करते हैं। नहाने के साथ ही इनके एक एक बूंद शरीर में पडऩे पर ताजगी आ जाती है। इन दिनों यह क्षेत्र भीड़-भाड़ वाला इलाका बन गया है। राजिम से ही बारूका के दाहिनी ओर तकरीबन पांच किलोमीटर की दूरी पर 100 फीट ऊंचाई से नीचे गिरता पानी पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है। चिंगरा पगार वाटरफॉल में वर्षा शुरू होते ही बड़ी संख्या में लोगों का आना जाना शुरू हो जाता है इस बार भी यही स्थल गुलजार है। बढ़ती हुई संख्या पर्यटन को बढ़ावा दे रही है। शाम होने से पहले पर्यटकों को यहां से निकलना पड़ता है अन्यथा रात्रि पर मुश्किल हो सकती है। चारों तरफ जंगल ही जंगल है धोखे से भी यदि वाहन बिगड़ गए तो परेशानी मोल लेनी पड़ सकती है।

यहां तक पहुंचने के लिए स्वयं का वाहन होना बहुत जरूरी है। जिला प्रशासन चाहे तो अच्छी खासी राजस्व प्राप्त किया जा सकता है बशर्ते यहां तक पहुंचने के लिए सड़क का निर्माण किया जाना जरूरी है। सुरक्षा के लिहाज से सिपाही की तैनाती के अलावा लोगों को रोजगार की सुविधाएं भी 4 महीने के लिए उपलब्ध हो सकती है।
कार की रेलमपेल से सड़कों की चौड़ाई हो गई छोटी
लगातार चार पहिया वाहन के धड़ाधड़ दौडऩे के बावजूद सड़कों की चौड़ाई छोटी हो गई थी। शाम को तो साईं मंदिर से लेकर राजिम पुल तक कार ही कार दिखाई दे रहे थे। इसके अलावा छोटे हाथी वाहन में भी बड़ी संख्या में लोगों ने सफर किया। कई लोग दोस्त यार के साथ तो कोई अपने फैमिली के साथ रविवार को यादगार बनाने निकले हुए थे। महासमुंद से राजिम आने वाली सड़क, राजिम से छुरा तथा गरियाबंद मार्ग में भीड़ का नजारा देखते ही बन रहा था। इन्हें देखकर बाईपास मार्ग की कमी खल रही थी। क्योंकि बायपास मार्ग नहीं होने के कारण छोटी-बड़ी सभी गाडिय़ां शहर के अंदरूनी भाग से होकर ही गुजरती है। ऊपर से रेत भरी हाईवा तथा सामान ढोने वाले 10 चक्का वाहन बड़ी संख्या में इन सड़कों पर दौड़ती है। राजिम भक्ति माता चौंक के पास रविवार को ही एक बड़ी वाहन छड़ लेकर मुड़ हो रहे थे। सड़क की चौड़ाई कम होने के कारण उन्हें बड़ी दिक्कत हो रही थी अंतत: बड़ी संख्या में पट्टी वाली छड़ नीचे गिर गए। जिसके कारण वाहन धारी को इन्हें फिर से गाड़ी में डलवाने के लिए स्ट्रा पैसा खर्च करना पड़ा। ऐसा उदाहरण यहां आए दिन देखने व सुनने को मिलता ही रहता है। ज्ञातव्य हो कि छुरा सड़क मार्ग चौड़ीकरण का काम पिछले 4 सालों से अटका हुआ है जानकारी के मुताबिक इनके लिए राशि की स्वीकृति हो चुकी है लेकिन कोई मामला क्लियर नहीं होने के कारण कोर्ट में विचाराधीन है। इधर राहगीरों को एकल मार्ग होने के कारण बड़ी परेशानी आवागमन में हो रही है।

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