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छत्तीसगढ़

बटरेल में विष्णु अरोड़ा का शिव महापुराण कथा

उतई । पूर्व विधायक डा दयाराम साहू व पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमति रमशिला साहू द्वारा अपने गृह ग्राम बटरेल में विश्व प्रसिद्ध कथावाचक बाल योगी श्री विष्णु अरोड़ा जी का श्री शिव महापुराण कथा आयोजन किया जा रहा है जिसमे कथा वाचक बाल योगी विष्णु अरोड़ा जी ने कथा का प्रारंभ करते भगवान शंकर की महिमा बताया और बताया की भगवान शंकर विश्वास है तो दक्ष की कन्या पार्वती श्रद्धा है ।श्रद्धा विश्वास रुपाने ।श्राद्ध इतनी आसान नहीं , सोच विचार कर परीक्षा ले कर के करे ।
पार्वती मैना की पुत्री है और मैना कौन ,मैना जिसमे मै पन न हो ,जिसमे अहंकार ना हो ,।जिसमे ये नही वही है सच्चा भक्त । जैसे हनुमान जी सच्चे भक्त है ,उन्होंने अक्षय को मारा ,लंका को जलाया ,रावण के अभिमान को ध्वस्त किया ।निसाचारो का नाश किया पर हनुमान जी ने अपना मैं को प्रदर्शित नही किया शिव पार्वती विवाह कथा में बताया की पार्वती मैना की पुत्री है और मैना का विवाह हिमालयराज पर्वत से हुआ था । जिससे पार्वती का जन्म हुआ। पार्वती से पूर्व सौ पुत्र हुए अंत में पार्वती का जन्म हुआ । यम 5, नियम 5 , आसन 84 ,प्राणायाम 3, प्रत्याहार , धारणा,ध्यान इस प्रकार सौ पुत्र और एक पुत्री पार्वती ।पार्वती मतलब श्रद्धा ।श्रद्धा से ही ज्ञान ,ज्ञान से ही श्रद्धा को ग्रहण करना चाहिए ।
हिमालय राज अपनी पुत्री पार्वती को लेकर शंकर जी के पास लेकर गए और निवेदन किए की मेरी पुत्री पार्वती आपकी सेवा में प्रतिदिवस उपस्थित होगी ।साथ में मै भी आऊंगा । पार्वती के साथ जया और विजया और शंकर जी के साथ नंदी और भंगी भी साथ थे । पर विवाह से पहले शंकर जी ने पार्वती की परीक्षा लिया पहले ऋषि के द्वारा फिर स्वयं ब्राम्हण के वेश में । जिसमे दोनो में पास हो गई जिससे शंकर जी प्रगट होकर पार्वती का हाथ पकड़ विवाह का प्रस्ताव रखा पर पार्वती ने मना करते हुए कहा की मेरा हाथ मेरे पिता से मांगें और पूरे विधि विधान से होगी ।बेटी पार्वती की तपस्या पूरी होने पर हिमालयराज के परिवार बहुत प्रसन्न हुए अब शंकर जी के साथ पुत्री पार्वती के साथ विवाह होगी । उत्सव मनाए जिसमे शंकर जी भी नटराज के रूप में पहुंचे , नटराज के रूप में नृत्य किए , जिससे हिमालय राज उपहार देने कहा उसने पार्वती का हाथ मांग लिए जिससे नाराज हो मैना और हिमालय राज ने शंकर जी को धक्का मारकर भगा दिया ,फिर बाद मे विवाह तय होने पर कैलाश से बारात हिमालय जाने तैयार हुए अनेकों प्रकार के भिन्न भिन्न बाराती थे ।
बारातियों के स्वागत में मंगलगीत, आरती सजाई
शंकर जी गले में सर्प लपेटे भभुति के साथ पहुंचे ,।बाराती तो और अजीब बिना मुंह वाला ,उल्टे मुंह वाला ,अनेकों मुंह वाला बाराती ।पार्वती शंकर जिनके विवाह प्रारंभ हो रहा था और उसी समय ब्रम्हा जी ने पार्वती का नख दिख गए सुंदरता को देख वसीभूत हो गए । जिसे देख शंकर जी क्रोध हो गया ।
ज्ञान में नहीं, साधना में होता है समर्पण
शंकर पार्वती का विवाह हुआ श्रृष्टि की रचना को बनाए रखने शंकर पार्वती का विवाह जरूरी था । आज श्री शिव महापुराण कथा स्थल में कथा श्रवण करने प्रमुख रूप से प्रीतम साहू पूर्व विधायक , नंदलाल साहू, दिलीप साहू, निर्मल जैन सरपंच रानीतराई ,अशोक शर्मा पूर्व जनपद , हेमंत साहू ,जयप्रकाश चंद्राकर, भगवान सिंह चंद्राकर, श्यामसुंदर साहू ,श्रीमती रमा अनिल साहू पार्षद रिसाली , सुनील साहू पूर्व पार्षद रिसाली , जितेंद्र धुरंधर, बेनी राम सार्वा सहित अनेकों श्रद्धालुजन उपस्थित रहे।

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