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छत्तीसगढ़

6 सूत्रीय मांगों को लेकर शासकीय राशन दुकान संचालक हड़ताल पर

नारायणपुर । नारायणपुर जिले के शासकीय उचित मूल्य दुकान के विक्रेता अपनी 6 सूत्रीय मांगो को लेकर धरने पर बैठे है जिसके चलते हितग्राहियों को राशन के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । राशन दुकान के विक्रेताओं का कहना है कि 6 सूत्रीय मांगो में मानदेय 30 हजार और इपोस मशीन बंद करने की मांग है । इपोस मशीन के चलते अबूझमाड़ में राशन वितरण करने में सबसे ज्यादा समस्या का सामना करना पड़ता है । अबूझमाड़ के अधिकतर इलाको में विद्युत व्यवस्था सुचारू रूप से चालू नही रहती वही इंटरनेट की सुविधा भी नही है जिसके चलते राशन वितरण नही हो पाता है । राशन लेने ग्रामीण 40 से 50 किलोमीटर की दूरी तय करके आते है और इपोस मशीन में फिंगर प्रिंट नही मिलने पर राशन नही मिलने ग्रामीण काफी नाराज होते है इसलिए इन इलाको में इपोस मशीन विद्युत और इंटरनेट की सुविधा पहुंचने के बाद शुरू किया जाना चाहिए । रोमन अध्यक्ष शासकीय उचित मूल्य की दुकान ने बताया की 6 सूत्रीय मांगो को लेकर पूरे प्रदेश सहित नारायणपुर जिले के सभी राशन दुकान संचालक हड़ताल पर बैठे है हमारी मांगे है मानदेय व्यवस्था लागू करे:- समस्त राशन विक्रेताओं को 30,000 रुपये मानदेय देने की व्यवस्था कराई जाए अथवा 300 रूपये प्रति क्विंटल सभी मदो में प्रदाय कि जाये। सहयोगी तौलक को कलेक्टर दर से मजदूरी भुगतान हेतु पहल कि जाये। भवन विहिन दुकानों को भवन किराया शासन से प्रदाय किया जाये। सभी कमीशन की राशि प्रतिमाह प्रदाय कि जाये । जिससे विक्रेताओं की आर्थिक स्थिति में सके। सुधार ।
कमीशन की राशि: प्रदेश के सभी शासकीय उचित मूल्य दुकानों की मार्जीन कमीशन राशि वित्तीय पोषण की राशि वर्ष 2018, 2019, 2020 की बारदाना की राशि अप्राप्त है। भारत सरकार द्वारा हृस्नस््र मद में माह अप्रैल 2022 से 70 रूपये से बढ़ा कर 90 रुपये प्रति क्विंटल कि गई है। 20 रूपये शेष राशि सहित सभी मदो कि राशि को राज्य सरकार द्वारा अविलंब मुगतान करवायी जाये। नागरिक अपूर्ति निगम जानकारी देने में असमर्थता जताते हैं और आज तक प्रदेश में पूरा राशि नहीं मिल पाया है। जिसे अविलंब प्रदाय करवायी जाये। कमीशन कि राशि सीधे विक्रेता संचालक के खाते में प्रदाय की जाये शासकीय उचित मूल्य दुकान संचालक विक्रेताओं के बैंक खाते में सभी प्रकार की कमीशन की राशि को संचनालय रायपुर से सीधा प्रदाय की जाए। खाद्य नागरिक अपूर्ति निगम या अनुसंस्था विभाग के माध्यम से देने पर 4-से- 6 माह का समय लग जाता है। जिसकी जानकारी भी संबंधित विभाग देने में असमर्थता जताते हैं और आज तक प्रदेश में पूरा राशि नहीं मिल पाया है। खान कटौती के संबंध में:- माह नवम्बर 2022 में बिना पूर्व सूचना के भौतिक सत्यापन किये बगैर छत्तीसगढ़ के सभी शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में खाद्यान्न कटौती किया जाना न्याय संगत नहीं है। वर्ष 2016-17 में वितरण व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिये टेबलेट के द्वारा वितरण व्यवस्था लागू की गयी व बिना ट्रेनिंग दिए वितरण व्यवस्था को लागू किया गया। जिसके फल स्वरूप विक्रेताओं को टेबलेट से वितरण व्यवस्था में तकनीकी समस्यों का सामना करना पड़ा। सर्वर की समस्या होने पर ऑफ लाइन वितरण कराया गया नेटवर्क के अभाव में अपलोड नहीं हुआ। वस्तु स्थिति अनुसार मैनुअल वितरण व्यवस्था कराया गया। जो की टेबलेट में शेष स्कंध दिखाई दे रहा है। अन्य योजनाओं का सामग्री एंट्री नहीं होना, एवं पूर्व संचालक एजेंसी के द्वारा खाद्यान्नों का सूपूर्तगी नहीं करना जो वर्तमान में शेष स्कंध में प्रदर्शित होना दर्शाता है। हमारी मांग है माह फरवरी 2022 के पूर्व शेष स्कप को शून्य घोषित की जाए जबसे इपॉस चालू हुआ है उस बचत स्टॉक को किस्तों में समायोजन की व्यवस्था कराई जाए।
कांटा कनेक्टिविटी पूर्णत: बंद हो: ई-पॉस मशीन से कांटा कनेक्टीविटी पूर्णत: बंद हो। सर्वर बंद होने पर हितग्राहियों और विक्रेताओं के बीच विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है। प्रदेश में लगातार समस्या आ रही है। क्यों कि एक राशन कार्ड में 4 बार एंट्री, तौल करने पर 15 से 20 मिनट का समय लग रहा है जब से कांटा कनेक्टीविटी हुई है तब से सर्वर की समस्या लगातार बनी हुई है जिसके कारण वितरण व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गया है। इसलिये कनेक्टीविटी को पूरी तरह से बंद किया जाए और एक ही फिंगर से सामग्रियों की इपोंस मशीन में पुष्टि कांटा की व्यवस्था किया जाए ताकि वितरण व्यवस्था सुचारू रूप से क्रियांवयन हो सके।खाद्यान्न में तीन प्रतिशत सुखद भंडारण कि जाये -नागरिक अपूर्ति निगम के द्वारा शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में खाद्यान्न भंडारण की जाती है। जिसमें 3 प्रतिशत अतिरक्त सुखद के रूप में प्रति क्विंटल के हिसाब से भंडारण किया जाए। जिससे सार्टेज की कमी को पूरा किया जा सके। अत: श्रीमान माननीय महोदय जी उपरोक्त मांगों को लेकर ऐसी बाध्यकारी परिस्थियों में एक प्रदेशव्यापी आंदोलन में जाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं होगा। जब तक न्यूनतम आय गारंटी मानदेय के रूप में 30,000 रूपये अगामी बजट में प्रति दुकान प्रति माह पर विचार नहीं किया जाता है और इस तरह कि अत्यंत आवश्यकता के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली में संभावित अव्यवस्था कि जिम्मेदारी हम पर नहीं होगी।

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