छत्तीसगढ़

किडनी रोग से हुई मौत और बढ़ती मरीजों की संख्या देखकर ग्रामीणों ने हैंडपप के पानी से किया परहेज

देवभोग । पानी नहीं जहर पी रहे हैं हम। जी हाँ ये वाक्य इन दिनों देवभोग बस्तीपारा के अंतर्गत रहने वाले 10 वार्ड के लोग कह रहे हैं। 10 वार्ड के अंतर्गत आने वाले मुहल्ले ठाकुरपारा, निषादपारा, कुम्हारपारा और मालीपारा में किडनी के बढ़ते मरीज़ों की संख्या देखकर हर कोई परेशान और चिंतित है। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले दो से तीन साल के अंदर किडनी की बीमारी से पांच से छह मौते होने के बाद ग्रामीण सोच में पड़ गए थे कि आखिर लोग किडनी की मौत से कैसे जान गवा रहे है। वहीं किडनी के नए मरीज़ों की पुष्टि होने के बाद ग्रामीणों की परेशानी और बढ़ गई कि लोग कैसे इस बीमारी से पीडि़त हो रहे है। ऐसे में ज़ब ग्रामीणों ने ज़ब पता लगाया तो उन्हें उस हैंडपम्प में टीडीएस का मात्रा ज्यादा मिला, जिसका पानी वे कई साल से पीने के लिए उपयोग कर रहे है। ठाकुरपारा के अंतिम छोर में बना हैंडपम्प का पानी ग्रामीणों की प्यास कई सालों से बुझा रही है। वहीं अब इस हैंडपम्प के पानी में टीडीएस की मात्रा तय मानक से ज्यादा निकलने पर ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है। वहीं किडनी मरीज़ों की बढ़ती संख्या के पीछे का कारण ग्रामीण पानी को बता रहे है। ग्रामीणों का दावा है कि देवभोग के करीब 10 वार्ड के ग्रामीण जिस हैंडपम्प का पानी पीने के लिए उपयोग करते है। उस हैंडपम्प में टीडीएस की मात्रा भी तय मानक से बहुत ज्यादा है। वही पानी में हैवी मेटल भी होने की आशंका ग्रामीणों ने जाहिर किया है। गॉव के प्रमोद मिश्रा, दीनदयाल सोनी का दावा है कि हैंडपम्प के पानी में टीडीएस की मात्रा भी बहुत ज्यादा है। प्रमोद के मुताबिक हैंडपम्प में भारी धातु होने की आशंकाओं के बीच ग्रामीणों ने अब हैंडपम्प का पानी पीना बंद कर दिया है, अब ग्रामीण नाले में झिरिया बनाकर पानी पीने को मजबूर हो गए है। दीनदयाल की माने तो किडनी के बढ़ते मरीजों की संख्या और किडनी की बीमारी से हुई मौतों को देखकर ग्रामीण हैंडपम्प का पानी पीने से परहेज करने लगे है।

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