छत्तीसगढ़

रास काम लीला नहीं है, बल्कि काम पर विजय प्राप्त करने वाली: ललित वल्लभ

तिल्दा-नेवरा र। दशहरा मैदान में हो रहे श्रीमद भागवत महापुराण सप्ताह अष्टोतर शत 108 के छठे दिवस वृन्दावन धाम के प्रसिद्ध कथावाचक श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च महाराज ने कथा वाचन करते हुए कहा कि जब कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत का पूजन करवाया, तो इन्द्र ने क्रोधित हो बृजमण्डल में मूसलाधार वर्षा करवाई, भगवान कृष्ण ने एक उगली पर गिरिराज पर्वत उठाया और कहा आ जाओ गिरिराज की शरण में, श्रीकृष्ण ने ऐसे बृजवासियों की रक्षा की। कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुये श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च महाराज ने महारास वर्णन करत बताया कि रास पंचाध्यायी भागवत के पंच प्राण है रास पंचाध्यायी पठन, श्रवण से सहज ही वृन्दावन की भक्ति प्राप्त हो जाती है, रात के दो स्वरूप निव्य और नैमित्तिक, निव्य रास वह है जो आज भी चल रहा है रास कामलीला नहीं है, बल्कि काम पर विजय प्राप्त करने वाली लीला है। कृष्ण के दो स्वरूप मुर्तिंच, अमुर्तिंच शब्द वह शाकार है और निराकार भी साकार स्वरूप आज भी विद्यमान है।
वृन्दावनं परित्यज्य पादमेकं न गच्छति नित्य स्वरूप कृष्ण एक पग भी वृन्दावन ‘से नहीं जातें। महाराज ने आगे बताया कि भगवान ने सुदामा माली पर कृपा, रजक का उद्धार, कुब्जा अनुग्रह वर्णन करते हुये मामा कंश का वध किया, गोपी उद्धव संवाद की सुन्दर व्याख्या की, अवन्तिकापुरी विद्या अध्ययन किया 64 दिन में 64 विद्याओं को ग्रहण किया गुरुदक्षिणा में गुरु पुत्र को लाकर दिया जो कि मृत्यु को हो चुका था। श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च महाराज श्रीमद भागवत के प्रसंग को आगे बढ़ाते हुये बताया कि कंश वध के पश्चात द्वारिका पुरी का निर्माण कराया और द्वारकाधीश कहलायें, द्वारका में भगवान ने रुक्मिणी जी के साथ विवाह किया, विवाह में भगवान रुक्मिणी कृष्ण की झांकी सजायी गई वैवाहिक भजन गीतों पर भक्त मग्न होकर नृत्य करने लगे। श्रीमदभागवत कथा कल सप्तम दिवस 20 दिसंबर को दोपहर 02 बजे से चलेगी, जिसके बाद हवन कार्यक्रम होगा।

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