युगांडा में दिखी भारतीय मूल्यों की झलक : चतुर्वेदी
भिलाई । अफ्रीकी देशों की यात्रा से लौटे अंतराष्ट्रीय चित्रकार एवं भिलाई इस्पात संयंत्र के जनसम्पर्क विभाग से अवकाश प्राप्त अधिकारी महेश चतुर्वेदी ने तरुण छत्तीसगढ़ से अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि पूर्वी अफ्रीकी देश युगांडा में सबसे लोकप्रिय नील नदी के उद्गम स्थल और भूमध्य रेखा ने उन्हें न केवल रोमांचित किया बल्कि प्रकृति के रहस्यों से भरी हमारी प्यारी-सी यह धरती किस प्रकार स्पंदित हो रही है यह भी प्रत्यक्षत: देखने को मिला। उन्होंने बताया कि नील नदी का उद्गम स्थल ब्रह्माण्ड का सुन्दर सन्देश देता प्रतीत होता है जहाँ सूरज की रोशनी नहीं पहुँचती और घुप्प अँधेरा है। झाग बलन्द करता चौड़ा पाट सहज ही आकर्षित करता है। यहीं पर समूह में कुछ अनाथ बच्चे सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश कर रहे थे। उन लोगों ने उनके साथ ही उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कुसुम चतुर्वेदी को भी अपने मध्य बुलाकर थिरकने पर मजबूर कर दिया। भावुक चतुर्वेदी दंपती ने उन अनाथों की आर्थिक मदद कर भारतीय मूल्यों के शाश्वत स्तम्भ को और मजबूत कर दिया। यहाँ भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की शांति और अहिंसा की सीख देती प्रतिमा स्थापित है जिसके पास खड़े होकर लोग छयाचित्र लेते हैं। भूमध्य रेखा पर खड़े होकर रोमांच का अनुभव साझा करते हुए चतुर्वेदी ने बताया कि एक पात्र में पानी रख उसमे फूल डालकर भूमध्य रेखा के बाएं रखने पर फूल बड़ी तेजी के साथ बाएं घूमने लगता है और दाएं रखने पर फूल के घूमने का क्रम दाएं हो जाता है और मध्य में रखने पर फूल नीचे चला जाता है ! यह प्रकृति और विज्ञान का अद्भुत नजारा है। चतुर्वेदी ने बताया कि युगांडा के लोगों में भारत के प्रति असीम प्रेम देखने को मिला। वहाँ की अर्थव्यवस्था पहले की अपेक्षा बेहतर है। युगांडा के साहित्य कला और संस्कृति की तारीफ करते हुए चतुर्वेदी ने वहां के नौजवान चित्रकार सिल्वर के बनाये चित्रों को दिखाते हुए कहा कि इन चित्रों में मानवीय मूल्य प्रतिबिंबित होते हैं। संगीत के क्षेत्र में भी लोगों को खासी रुचि है। भारत की तरह वहां भी कृषि और वनोपज पर लोग आश्रित हैं और केले की उपज बहुतायत है। अन्य फसलों में सब्जियां, कपास, कहवा, गन्ना, तंबाकू, कॉफी-चाय की उपज महत्वपूर्ण है। वनो की अधिकता के चलते लकडिय़ां खूब होती हैं यहाँ तक कि विद्युत पोलों तक के लिए लकड़ी का प्रयोग होता है। वहां वन्य प्राणियों की भी बहुतायत है। मगरमच्छ म्यूजियम लोगों को सहज ही आकर्षित करता है जहाँ सौ सालों तक के मगरमच्छ की प्रजातियां लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। पांच-पांच फ़ीट तक की बड़ी-बड़ी छिपकलियों का नजारा देखकर विस्मय होता है। युगांडा में नागरिक अनुशासन और ईमानदारी की तारीफ करते हुए चतुर्वेदी ने कहा कि वहां की राजधानी कंपाला में एजुकेशन और अपने विकास को लेकर लोग बहुत आगे हैं। आधुनिकता और फैशन का भी बोलबाला है। युगांडा के लोगों की ईमानदारी का बखान करते हुए महेश चतुर्वेदी ने बताया कि लौटने के समय हवाई अड्डे पर परिचारिका ने उनके और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कुसुम चतुर्वेदी के चेकआउट, सिक्युरिटी जाँच आदि में पूरी आत्मीयता बरती और जब वे हवाई जहाज में बैठ गए और कुछ ही मिनट उड़ान को शेष थे कि विमान में वह परिचारिका लपकती-हांफती हुयी आई और खोजकर उसके पास रह गए उनके बाकी पैसे वापिस कर मुस्कुराती हुयी लौट गयी। यह निशानी थी कि युगांडा अपने विकास दर के साथ ही उच्च मानवीय मूल्यों में भी निरंतर निखार ला रहा है। भारतीय भी उसमे सहभागी हैं।