महासमुंद की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को मिली विशेष पहचान

महासमुंद । आंध्र प्रदेश के तिरुपति में 17 से 19 फरवरी तक आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मंदिर सम्मेलन और एक्सपो 2025 में महासमुंद की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को विशेष पहचान मिली। इस भव्य आयोजन का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर मंदिर प्रबंधन के आधुनिकीकरण, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और मंदिरों की भूमिका को सशक्त बनाने पर मंथन करना था। सम्मेलन का उद्घाटन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक विशेष संदेश के माध्यम से इस पहल की सराहना की और मंदिर प्रबंधन में नवीनतम प्रथाओं के आदान-प्रदान को महत्वपूर्ण बताया।इस ऐतिहासिक आयोजन में महासमुंद जिले के दाऊलाल चंद्राकर, दानवीर शर्मा, नुकेश चंद्राकर, डॉ. नीरज गजेंद्र, ईश्वर सिन्हा और लक्ष्मीनाथ चंद्राकर ने छत्तीसगढ़ की मंदिर परंपराओं और संस्कृति का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने प्रदेश के ऐतिहासिक मंदिरों के धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व पर चर्चा की और उनके विकास में आधुनिक तकनीकों के उपयोग पर जोर दिया।सम्मेलन में 58 से अधिक देशों के 1,581 मंदिरों के 3162 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। तीन दिवसीय आयोजन के दौरान 111 से अधिक विशेषज्ञ वक्ताओं ने अपने विचार साझा किए। इस दौरान 15 कार्यशालाएं आयोजित की गईं और 60 से अधिक प्रदर्शनी स्टॉल लगाए गए, जिनमें मंदिरों के प्रबंधन और आधुनिकीकरण से जुड़ी तकनीकों का प्रदर्शन किया गया।
मंदिर प्रबंधन में आधुनिक तकनीकों पर फोकस
सम्मेलन में मंदिर सुरक्षा, वित्तीय प्रबंधन, आपदा प्रबंधन, स्वच्छता, बड़े पैमाने पर भोजन वितरण, भीड़ नियंत्रण, अपशिष्ट प्रबंधन और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श हुआ। 75 से अधिक अत्याधुनिक नवाचारों को प्रस्तुत किया गया, जिनमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ब्लॉकचेन और फिनटेक समाधानों का उपयोग भी शामिल था।
स्मार्ट टेंपल मिशन और नई पहल
सम्मेलन के दौरान अंतर्राष्ट्रीय मंदिर महासंघ की स्थापना की घोषणा की गई, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर सनातन धर्म को एकजुट और सशक्त बनाना है। साथ ही, मंदिरों के आधुनिकीकरण और डिजिटल परिवर्तन के लिए स्मार्ट टेंपल मिशन की शुरुआत की गई, जो मंदिरों में आधुनिक तकनीकों के समावेश को बढ़ावा देगा।
सम्मेलन में मंदिर प्रबंधन, आधुनिकीकरण और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बना, जिससे वैश्विक मंदिर समुदाय के बीच सहयोग और ज्ञान साझा करने की दिशा में नए आयाम स्थापित हुए। महासमुंद के प्रतिनिधियों की भागीदारी ने छत्तीसगढ़ के धार्मिक महत्व को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दिलाई।