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छत्तीसगढ़

जिले के जंगलों में अवैध चराई रोकने वन मंडल अधिकारी कार्यालय को दिया गया आवेदन

राजिम (पाण्डुका) । पिछले कई सालों से राजस्थानी ,गुजराती भेड़ बकरी चरवाहे गरियाबंद जिले के हरे भरे जंगलों में चराई करवा रहे हैं जिससे जंगल के छोटे-छोटे पेड़ पौधे तो नष्ट हो रहे हैं साथ ही जंगली जानवर भी बिदक कर इधर-उधर भाग रहे हैं ।और इनके आने से स्थानीय किसानो को जंगलों में अपनी पालतू मवेशियों की चारे की समस्या हो जाता है।और इनके हजारों मवेशियों के आने से पालतू जानवरों में संक्रमण बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है इनका यह सिलसिला कई सालों से बे रोक टोक जिले में चल रहा है और इनके पास किसी भी प्रकार की कोई चराई के लिए वैध दस्तावेज नहीं होता और ये चरवाहे प्रतिबंधित वन क्षेत्र में हजारों की संख्या में अपने मवेशी लेकर चराई कराते हैं।और ऐसा ही कुछ इस बार फिर देखने को मिलने वाला है बरसात लगने वाली है और बारिश के मौसम में जिले के विभिन्न वन परिक्षेत्र के जंगलों में डेरा डाले डालने वाले है। इस कारण गरियाबंद वन मंडलाअधिकारी वन मंडल गरियाबंद कार्यालय में 19 जून को आवेदन दिया गया कि जिले के समस्त परीक्षेत्र कार्यालय सहित पूरे जिले में इनकी अवैध चराई पर प्रतिबंध लगाया जाए एवं इन्हें गरियाबंद जिले के जंगलों में घुसने से रोका जाए ताकि हमारा गरियाबंद जिला हरा भरा रहे और यह के छोटे-छोटे पेड़ पौधे बड़े पेड़ों का आकार ले सके। ज्ञात हो की राजस्थानी गुजराती चरवाहे जिले के जंगल में चराई करते हैं बारिश में यहां रहते हैं । धान कटाई के बाद यहा से मैदानी जिलों में चले जाते हैं और वहां से वापस आते है ।इस प्रकार इनके कई परिवार सालो से छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के जंगलों रहते हैं। एक बार फिर इसी तरह गरियाबंद जिले के पैरी नदी पार कर सरगी ,वा सुखा नदी के आसपास डेरा जमाए है साथ ही मैदानी गांव के आसपास डटे हुए है जो धान बोआई और बारिश चालू नहीं हो जाती तब तक ये लोग वन परक्षेत्र के जंगल और पहाड़ों में नहीं जायेंगे। उनके लगातार जंगल में प्रवेश से छोटे-छोटे पेड़ पौधे नष्ट हो रहे हैं।क्यों की हजारों की संख्या में इनकी भेड़, बकरियां, घोड़े ऊट होते है।और जिस पौधे को भेड़ बकरियां चराई कर दे फिर उसे पुन: पनपने में बहुत समय लगता है। तो कुछ जानकारो का मानना है कि अगर हम जंगल में पेड़ लगाने की बजाय जंगल में लगे प्राकृतिक रूप से उगे पेड़ पौधे को बचा ले तो यह इतने घने हो जाएंगे की पौधे लगाने की जरूरत ही नही है उसके लिए जरूरी है कि अवैध कटाई,चराई और जंगल को आग से बचाया जाए यह तीन काम कर लिया जाए तो हमारे जिले के जंगल फिर से हरा भरा हो जाएगा और 5 जून को होने वाले विश्व पर्यावरण दिवस सही मायने में जमीन पर दिखने लगेगा।

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