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छत्तीसगढ़

माता-पिता त्याग,बलिदान और संघर्ष की प्रतिमूर्ति होते हैं: पूरन लाल

राजिम । शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला बिजली में बसंत पंचमी एवं मातृ पितृ दिवस हर्ष एवं उमंग के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य एवं शिक्षकों द्वारा सरस्वती माता एवं छत्तीसगढ़ महतारी के छायाचित्र पर दीप प्रज्जवलित व श्रीफल फोड़कर किया गया। तत्पश्चात छात्र छात्राओं द्वारा पूजा अर्चना किया गया.इस अवसर पर संस्था के प्राचार्य पूरन लाल साहू ने कहा कि भारतीय संस्कृति में माता पिता का विशेष महत्व है।पिता का साया एक मजबूत और छाया देने वाले पेड़ जैसे होता है जो सारी परेशानियां खुद सहन करता है लेकिन अपनी छांव में बैठे लोगों पर आंच भी आने नही देता।पिता अपने बच्चों के लिए एक नायक,आदर्श,एक सच्चा दोस्त और पथ प्रदर्शक होता है। मॉ यदि जीवन देती है तो पिता जीवन जीना सिखाता है।पिता मेहनत करता है और हर परिस्थिति का सामना करना और जीवन की कठिनाइयों में लडऩा सिखाता है। पिता अपने बच्चों के लिए न सिर्फ धूप की तपिश झेलकर उनकी हर एक जरूरत का ख्याल रखते है बल्कि उन्हें हर मुसीबत से बचाने में सबसे आगे रहते है।पिता का जीवन मे होना बहुत जरूरी है जिनके पास पिता होते है उसके पास दुनिया की सबसे बड़ी ताकत होती है। माता पिता एक वो अनमोल रत्न है जिनके आशीर्वाद से दुनिया की सबसे बड़ी कामयाबी भी हासिल की जा सकती है।यह दिन माता पिता के प्रति सम्मान, प्यारऔर देखभाल के संस्कार को विकसित करने के लिए समर्पित है. उन्होंने आगे बसंत पंचमी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बसंत ऋतुओं का राजा कहलाता है. इस दिन को माँ सरस्वती के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. माँ सरस्वती को वीणापाणी, हँसवाहिनी, ज्ञानदायिनी, शारदा आदि नामों से जाना जाता है. बसंत पंचमी को श्री पंचमी एवं ज्ञान पंचमी कहा जाता है. अत: इस दिन सभी विद्यार्थियों को सच्ची आस्था के साथ माँ सरस्वती की पूजा अर्चना करनी चाहिए.संतोषी गिलहरे व्याख्याता ने कहा कि सरस्वती वंदना प्रस्तुत करते हुए विद्यार्थियों को परीक्षा की अच्छे से तैयारी करने में जुट जाने की बात कही. नकुल राम साहू व्यायाम शिक्षक ने कहा कि जीवन में संस्कार का बहुत महत्व है।संस्कार विहीन मनुष्य पशु के समान होते है।अत: सभी बच्चे को अपने माता पिता का सम्मान करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन गीता साहू (ग्यारहवीं) ने किया। कार्यक्रम के अंत में प्रसाद वितरण किया गया.इस अवसर पर संस्था के प्राचार्य पूरन लाल साहू,व्याख्याता विनय कुमार साहू,नरेन्द्र कुमार वर्मा,संतोषी गिलहरे,सत्या मिश्रा,नकुल राम साहू,रुद्रप्रताप साहू,क्लर्क दुष्यंत कुमार साहू, तोमन साहू,भृत्य आकाश सूर्यवंशी व छात्र छात्राएं उपस्थित थे।**माता पिता त्याग,बलिदान और संघर्ष के प्रतिमूर्ति होते है राजिम:- शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला बिजली में बसंत पंचमी एवं मातृ पितृ दिवस हर्ष एवं उमंग के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य एवं शिक्षकों द्वारा सरस्वती माता एवं छत्तीसगढ़ महतारी के छायाचित्र पर दीप प्रज्जवलित व श्रीफल फोड़कर किया गया। तत्पश्चात छात्र छात्राओं द्वारा पूजा अर्चना किया गया.इस अवसर पर संस्था के प्राचार्य पूरन लाल साहू ने कहा कि भारतीय संस्कृति में माता पिता का विशेष महत्व है।पिता का साया एक मजबूत और छाया देने वाले पेड़ जैसे होता है जो सारी परेशानियां खुद सहन करता है लेकिन अपनी छांव में बैठे लोगों पर आंच भी आने नही देता।पिता अपने बच्चों के लिए एक नायक,आदर्श,एक सच्चा दोस्त और पथ प्रदर्शक होता है। मॉ यदि जीवन देती है तो पिता जीवन जीना सिखाता है।पिता मेहनत करता है और हर परिस्थिति का सामना करना और जीवन की कठिनाइयों में लडऩा सिखाता है। पिता अपने बच्चों के लिए न सिर्फ धूप की तपिश झेलकर उनकी हर एक जरूरत का ख्याल रखते है बल्कि उन्हें हर मुसीबत से बचाने में सबसे आगे रहते है।पिता का जीवन मे होना बहुत जरूरी है जिनके पास पिता होते है उसके पास दुनिया की सबसे बड़ी ताकत होती है। माता पिता एक वो अनमोल रत्न है जिनके आशीर्वाद से दुनिया की सबसे बड़ी कामयाबी भी हासिल की जा सकती है।यह दिन माता पिता के प्रति सम्मान, प्यारऔर देखभाल के संस्कार को विकसित करने के लिए समर्पित है. उन्होंने आगे बसंत पंचमी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बसंत ऋतुओं का राजा कहलाता है. इस दिन को माँ सरस्वती के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. माँ सरस्वती को वीणापाणी, हँसवाहिनी, ज्ञानदायिनी, शारदा आदि नामों से जाना जाता है. बसंत पंचमी को श्री पंचमी एवं ज्ञान पंचमी कहा जाता है. अत: इस दिन सभी विद्यार्थियों को सच्ची आस्था के साथ माँ सरस्वती की पूजा अर्चना करनी चाहिए.संतोषी गिलहरे व्याख्याता ने कहा कि सरस्वती वंदना प्रस्तुत करते हुए विद्यार्थियों को परीक्षा की अच्छे से तैयारी करने में जुट जाने की बात कही. नकुल राम साहू व्यायाम शिक्षक ने कहा कि जीवन में संस्कार का बहुत महत्व है।संस्कार विहीन मनुष्य पशु के समान होते है।अत: सभी बच्चे को अपने माता पिता का सम्मान करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन गीता साहू (ग्यारहवीं) ने किया। कार्यक्रम के अंत में प्रसाद वितरण किया गया.इस अवसर पर संस्था के प्राचार्य पूरन लाल साहू,व्याख्याता विनय कुमार साहू,नरेन्द्र कुमार वर्मा,संतोषी गिलहरे,सत्या मिश्रा,नकुल राम साहू,रुद्रप्रताप साहू,क्लर्क दुष्यंत कुमार साहू, तोमन साहू,भृत्य आकाश सूर्यवंशी व छात्र छात्राएं उपस्थित थे।

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