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फणिकेश्वरनाथ मंदिर में उकेरे कला नक्काशी को देखकर लेखक हुए अभिभूत

राजिम । पंचकोशीधाम फणिकेश्वर नाथ महादेव मंदिर पहुंचकर जिला रत्नांचल साहित्य परिषद गरियाबंद के लेखकों ने मंदिर में उकेरी गई मूर्तिकला एवं वास्तुकला को नजदीक से निहारा सर्वप्रथम फणिकेश्वर महादेव ज्योतिर्लिंग का दर्शन किया। जलाभिषेक कर क्षेत्र के सुख समृद्धि की कामना की। लेखक संतोष कुमार सोनकर मंडल में मंदिर निर्माण की खूबियों पर फोकस करते हुए बताया कि महादेव का मंदिर पूर्वाभिमुख है। इसके दो अंग गर्भगृह एवं मंडप है। पूरा मंडप 16 स्तंभों पर टिका हुआ है। द्वारा के चौखट में नदी देवियां प्रदर्शित है। ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों मंदिरों को जोडऩे वाले मंडप का निर्माण मुख्य मंदिर के बाद में हुआ है। मंदिर के जंघा भाग में दो पंक्तियों में रामकथा तथा कृष्णलीला से संबंधित दृश्य एवं मिथुनरत चित्र बनाया गया है। मंडप में रखें वैष्णवी, महिषासुर मर्दिनी एवं चतुर्भुजी गणेश प्रतिमाएं मौजूद है। खंडित प्रतिमा भी रखे गए हैं। यह स्मारक परवर्ती काल के मंदिर स्थापत्य कला का अच्छा उदाहरण है। मंदिर पंचकोसी परिक्रमा में सम्मिलित है। इस बात को प्रमाणित पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग भी करता है। श्री सोनकर ने आगे बताया कि एक समय शेषनाग धरती लोक का भ्रमण करने के लिए पहुंचे। उन्होंने कमलक्षेत्र के आराध्य भगवान राजीव लोचन के दर्शन के पश्चात अनुमति लेकर भ्रमण करते हुए इस स्थल पर आए और सरोवर इत्यादि को देखकर बहुत प्रभावित हुए तथा शिवलिंग की स्थापना किया। यही फणिकेश्वरनाथ महादेव के नाम से प्रसिद्ध हुआ। लेखक संतोष कुमार साहू, पुरुषोत्तम चक्रधारी, नूतन लाल साहू ने कहा कि पंचकोसी परिक्रमा की अपनी अलग महिमा है। पंच शिव पीठ जिनमें पटेवा में पटेश्वरनाथ महादेव, चंपारण में चंपकेश्वरनाथ महादेव, बम्हनी में ब्रह्मकेश्वरनाथ महादेव, फिंगेश्वर में फणीकेश्वरनाथ महादेव, कोपरा में कर्पूरेश्वरनाथ महादेव हैं। जानकारी के मुताबिक कमलपुष्प के पांच पंखुड़ी पर पांच शिवलिंग स्थापित है जिसे पंचकोशी धाम की संज्ञा दी गई है। शायर एवं जिला रत्नांचल साहित्य परिषद के अध्यक्ष जितेंद्र सुकुमार साहिर, कुमेश किरणबेर, गीतकार प्रदीप कुंवरदादा, लेखक फनेंद्र साहू ने मंदिर की कलाकृति एवं पत्थरों पर सफाई देखते ही बन रही है। छीनी एवं हथौड़ी के कमल को देखकर बहुत ज्यादा प्रभावित हुए। मंदिर में इन लेखकों द्वारा हर हर महादेव का जय घोष भी किया गया।

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