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छत्तीसगढ़

उल्लास कार्यक्रम के क्रियान्वयन हेतु स्रोत व्यक्तियों की राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन*

कोंडागांव। राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण छत्तीसगढ़ के द्वारा रायपुर में ७ व ८ अगस्त को दो दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न हुआ जिसमें उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के क्रियान्वन हेतु दो दिवसीय स्रोत व्यक्तियों के प्रशिक्षण में एससीईआरटी व राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के डायरेक्टर राजेंद्र कुमार कटारा ने कहा कि वयस्कों को पढ़ाते समय आने वाली चुनौतियों को एड्रेस करने की आवश्यकता है। शिक्षार्थी अपने रोजमर्रा की चीजों से परेशान रहते हैं तथा स्वयंसेवी भी बेरोजगारी जैसी बातों से परेशान होते हैं अतः दोनों को मोटिवेशन की अत्यंत आवश्यकता होती है। श्री कटारा के अनुसार हमें कम से कम शिक्षार्थी लेकर शुरुआत करनी चाहिए ,अपने आस-पास पड़ोस के असाक्षरों को पढ़ाना चाहिए तथा हर व्यक्ति को स्वयंसेवी शिक्षक होना भी चाहिए। स्वयं सेवी शिक्षकों को सम्मानित करना चाहिए तथा उनके अच्छे कार्यों को रिकॉग्नाइज करना चाहिए। स्वयं सेवी शिक्षक अपने घर व परिवार से शुरुआत करें ,पहले परिवार फिर मोहल्ला तथा गांव इन छोटी इकाइयों से सफलता आना शुरू होता है। अतिरिक्त संचालक जे. पी. रथ ने कहा कि विद्यार्थी जब शाला आते हैं तो उनके बहुत सारे सपने होते हैं लेकिन वयस्कों को पढ़ाना बहुत ही मुश्किल होता है इनकी शिक्षण पद्धति बहुत अलग होती हैं तथा उनकी मनोदशा तथा मनोवृति भी अलग होती है। ये सम्मान के हकदार होते हैं तथा पढ़ाते समय उनके आत्म सम्मान को ठेस नहीं पहुंचना चाहिए। वे अनुभवी होते हैं ,बहुत सारी बुनियादी बातें पहले से ही जानते हैं हमें उन्हें केवल अक्षरों से जोड़ना है।
कार्यशाला में राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के असिस्टेंट डायरेक्टर व उल्लास के नोडल अधिकारी प्रशांत पांडेय ने उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के लक्ष्य व उद्देश्यों पर च विस्तारपूर्वक बताया, राज्य साक्षरता केंद्र के प्रभारी डेकेश्वर वर्मा व महासमुंद एवं रायपुर के डीपीओ तथा जिला स्तर के साक्षरता मिशन के अधिकारी उपस्थित हुए। प्रथम दिवस की कार्यशाला में स्वयंसेवी शिक्षकों को प्रेरित कैसे करें ?,स्वयं सेवी शिक्षकों की भूमिका, ष्ठक्रत्र की भूमिका ,कक्षा प्रबंधन और उल्लास प्रवेशिका कैसे पढाए, भाषा एवं गणित पाठ योजना इत्यादि विषयों पर चर्चा हुई। आगे धारा यादव के द्वारा प्रौढ़ मनोविज्ञान टॉपिक पर चर्चा करते हुए बताई की हमें प्रौढ़ शिक्षार्थियों के भावनाओं को समझते क़हुए उनको उल्लास केंद्र तक कैसे लाना है व कक्षा प्रबंधन पर विस्तृत जानकारी दी गई। प्रीति देशपाण्डे के द्वारा विषय वस्तु व पाठ योजना पर चर्चा की जिसमें शिक्षार्थियों को बेहतर पाठ योजना तैयार कर कैसे साक्षर करने पर चर्चा की। धारा बेन के द्वारा दीक्षा पोर्टल पर स्वयंसेवी शिक्षकों के मार्गदर्शिका व उल्लास प्रवेशिका को कैसे देखें व शिक्षार्थियों को कैसे सिखाएं की जानकारी दी। डेकेश्वर वर्मा के द्वारा सभी जिलों में उल्लास पाठ को बांटकर उस पर अध्यापन करते अपने क्षेत्रीय भाषा में वीडियो तैयार करने कहा। मनीषा वत्स के द्वारा अनेक टीएलएम गतिविधियों के माध्यम से शिक्षार्थियों को कैसे शिक्षा दी जाए पर चर्चा की गई। दुर्गा सिन्हा के द्वारा उल्लास शिक्षा पर अनेक कारगर बिंदुओं की जानकारी दी जो कभी भी कहीं भी कर सकते हैं। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में उल्लास शिक्षा तक से लेकर मूल्यांकन तक कि विभिन्न शैक्षिक नवाचारी बिंदुओं की जानकारी दी। इस कार्यक्रम में कोंडागांव जिले से श्री राहुल कुमार शर्मा, सुश्री शीतल गौतम स्रोत व्यक्ति के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त किया ।विशेष सहयोग में राज्य स्त्रोत व्यक्ति महासमुंद के डीपीओ श्रीरेखराज शर्मा रायपुर के डीपीओ डॉक्टर कामिनी बावनकर असिस्टेंट प्रोफेसर प्रीति देशपांडे, ड्ढ.श्वस्र कॉलेज की धारा बेन असिस्टेंट प्रोफेसर धारा यादव, दुर्गा सिन्हा, डॉ मनीषा वत्स, एससीईआरटी की प्रीति सिंह, उपासना झा, चंचल देवांगन, सूरजपुर से कृष्ण कुमार ध्रुव, सुश्री अलीशा शेख ,संजय रजक, मुकेश रैकवार, पुष्पेंद्र कश्यप, अनंत देवांगन का योगदान रहा।

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