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छत्तीसगढ़

संत कवि पवन दीवान का सपना रह गया अधूरा

राजिम । क्षेत्र में जिले की मांग दिन-ब-दिन बलवती होती जा रही है। बहुप्रतीक्षित मांग को पूरा करने के लिए यहां के लोग कभी कांग्रेस सरकार पर भरोसा किया था, तो अब बीजेपी सरकार से उम्मीद लगा रखे हैं। यह नगरी भगवान विष्णु का है और प्रदेश के मुख्यमंत्री भी विष्णु देव बने हुए हैं। माना जा रहा है कि कृपा जरूर होगी लेकिन कहां पर अटकी हुई है क्षेत्र वासियों को समझ नहीं आ रहा है।मांग करते-करते यहां के लोगों को 33 साल हो गए हैं। अभिभाजित मध्यप्रदेश के समय से राजिम जिला बनाने की मांग चली आ रही है। कब विश्वास हकीकत में बदलेगा समय ही बताएगा। एक जानकारी के मुताबिक जिला बनने की स्थिति में राजिम जिला 285 गांव को मिलाकर बनाया जा सकता है। इनमें फिंगेश्वर विकासखंड के 101 गांव, अभनपुर विकासखंड के 104 गांव, छुरा ब्लॉक के कम से कम 50 गांव तथा मगरलोड ब्लॉक के 30 गांव को सम्मिलित किया जा सकता है। चूंकि मगरलोड ब्लॉक के कम से कम 30 गांव नदी के उस पार अर्थात बिल्कुल सीमा से लगा हुआ है। जो बेलाही पुल, राजिम परसवानी चौबेबांधा पुल, सिरकट्टी पुल जोडऩे का काम करती है। इसी तरह से कोपरा के बाद पांडुका का इलाका छुरा विकासखंड के अंतर्गत आता है। यहां से 50 गांव लिया जा सकता है जो बिल्कुल राजिम में लेनदेन से लेकर अन्य प्रत्येक कार्यों के लिए जुड़ा हुआ है। छुरा विकासखंड में 158 गांव आते हैं। देश में हरियाणा राज्य का एक जिला पंचकूला है इस जिले में कुल 253 गांव आते हैं। सन् 1995 में जिले के रूप में इसे स्थापित किया गया था। राजिम जिले का स्वरूप यदि इतनी ही गांव को मिलाकर बनाया जाता है तो मुख्य रूप से अभनपुर तहसील, नवापारा तहसील, राजिम तहसील, फिंगेश्वर तहसील प्रमुख होंगे। इसमें कुल दो नगर पालिका परिषद, तीन नगर पंचायत तथा सैकड़ो ग्राम पंचायत होंगे।
धर्म नगरी के नाम से राजिम की ख्याति पूरी दुनिया में-धर्म नगरी के नाम से राजिम की ख्याति पूरी दुनिया में फैली हुई है। यहां देश-विदेश के पर्यटक एवं श्रद्धालु बड़ी संख्या में हमेशा दर्शन, पूजन, स्नान, अस्थि विसर्जन, पिंडदान इत्यादि कृत्य के लिए 12 महीना आते जाते रहते हैं। पूरी दुनिया में हरि और हर की नगरी के रूप में सिर्फ राजिम को जाना जाता है। यहां माता सीता के हाथों से स्थापित पंचमुखी कुलेश्वरनाथ महादेव त्रेता युग को इंगित करते हैं। भगवान विष्णु का राजीवलोचन स्वरूप सतयुग के जमाने से बताया जाता है। खुदाई से मिले अवशेष के आधार पर इस नगरी का अस्तित्व तीसरी चौथी शताब्दी माना गया है। इतने प्राचीन शहर को अभी तक मात्र अनुविभागीय मुख्यालय तक ही बनाया गया है। जबकि जिले की मांग वर्षों से हो रही है। लोगों का मानना है कि बहुत प्राचीन नगरी होने के नाम से इन्हें जिला तो कब का बन जाना चाहिए था परंतु विडंबना ही है जिसके कारण हर बार जिला बनाने के मामले में छला जाता है।
संत कवि पवन दीवान का सपना रह गया अधूरा-स्थानीय लोग मानकर चल रहे हैं कि राजिम को जिला नहीं बनने से संत कवि पवन दीवान का सपना अधूरा रह गया है। उन्होंने अपने जीवन काल में राजिम को जिला बनाने के लिए बहुत मेहनत किया। अविभाजित मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह, पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनते ही प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी तथा हर बार जिले की बात सत्ता की गलियारों तक पहुंचा ही जाते थे। पहली बार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने अजीत जोगी ने तो नवापारा राजिम प्रवास पर कह ही दिया था कि जब भी नया जिला बनाया जाएगा राजिम नवापारा उसमें प्रमुख होगा। उसके बाद से लगातार 23 सालों में 17 नए जिले बन गए परंतु राजिम का क्रम नहीं आया। जिससे यहां के लोग अपने आप को छला महसूस कर रहे हैं।
पंचकोशी धाम में लोगों की आगाध श्रद्धा-पूरी दुनिया में पैदल पंचकोशीय यात्रा सिर्फ कमलक्षेत्र में ही किया जाता है। उत्तरप्रदेश में 84 कोसीय यात्रा का प्रचलन है। राजिम के पंचकोशी यात्रा में पांच – पांच कोस की दूरी पर स्थित पांच शिवलिंग पर श्रद्धालु पैदल पहुंचते हैं और जलाभिषेक करते हैं। इसमें पूरे छत्तीसगढ़ से लोग उपस्थित होते हैं और श्रद्धा भक्ति के साथ यात्रा को पूरी करते हैं। यह पंचकोशीय पीठ वर्तमान में तीन जिला में स्थित है। पटेवा की पटेश्वरनाथ महादेव, चंपारण में चंपकेश्वरनाथ महादेव दोनों शैव स्थल रायपुर जिला में है। बम्हनी के ब्रह्मकेश्वरनाथ महादेव महासमुंद जिला तथा फिंगेश्वर के फणिकेश्वरनाथ महादेव, कोपरा के कर्पूरेश्वरनाथ महादेव तथा कमलक्षेत्र के कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर गरियाबंद जिला में है। तीनों जिला में स्थित पंचकोशीय महादेव को राजिम जिला बनने की स्थिति में एक ही जिला में रखा जाए ताकि लोगों को सहूलियत और विकास तेज गति से हो।

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