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इतिहास के पन्नो से गायब बलिदान को याद करने का दिन वीर बाल दिवस:गोमती

पत्थलगांव । इतिहास के पन्नो से गायब चार शहीद साहेबजादो को याद करने का दिन वीर बाल दिवस है,देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीर बाल दिवस की घोषणा कर इस दिन को शहीदो की याद के लिए बनाया है,यह बातें नवनिर्वाचित विधायक गोमती साय ने सैकडो सिक्ख पंथ के लोगो को संबोधित करते हुये मंगलवार की देर शाम गुरूद्वारा साहेब मे कही थी। उनका कहना था कि सिक्ख धर्म गुरूओ का बलिदान इतिहास के पन्नो मे अंकित नही है,सिक्ख गुरूओ ने राष्ट्र निर्माण,धर्म की रक्षा एवं अपनी संस्कृति बचाने के लिए जो योगदान दिया है उसे हमेंशा याद किया जायेगा। दशमेष पिता के चारो पुत्रो की शहीदी के दिवस पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शैक्षणिक संस्थाओ मे वीर बाल दिवस मनाने की जो शुरूवात की वह सिक्ख गुरूओ के अलावा साहेबजादो के लिए सच्ची श्रद्धांजलि का दिन है। दिन मंगलवार की देर शाम देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा अनुरूप पूरे प्रदेश मे साहेबजादो को श्रद्धांजलि देने वीर बाल दिवस मनाया जा रहा था,यहा के गुरूद्वारा साहेब मे भी वीर बाल दिवस के मौके पर नवनिर्वाचित विधायक गोमती साय पहुंची हुयी थी,उन्होने गुरूद्वारा साहेब मे मत्था टेककर कार्यक्रम की शुरूवात करी। सिक्ख समाज के वरिष्ठ प्रवक्ता रविन्द्र सिंह भाटिया ने समाज की ओर से विधायक गोमती साय का स्वागत कराया,इस दौरान गुरूसिंग सभा के अध्यक्ष इंदरजीत सिंह भाटिया,हरनाम सिंह,सिंदर सिंह, हरजीत सिंह,मंजीत सिंह,प्रीतपाल सिंह,पप्पी भाटिया,अमरजीत भाटिया,प्रदीप सहगल, गुरूशरण भाटिया,जिम्मी भाटिया,मन्नी भाटिया,परमवीर भाटिया के अलावा सिक्ख समाज की महिलायें भी बडी संख्या मे मौजुद थी।।कश्मीरी पंडितो की रक्षा मे कटाया शीश-:समाज के प्रवक्ता रविन्द्र सिंह भाटिया ने गुरू गोविंद सिंह के इतिहास पर प्रकाश डालते हुये बताया कि उनके चारो पुत्रो ने सनातन संस्कृति की रक्षा करते हुये मुगलो से लोहा लिया। मुगलो के अत्याचार से परेशान होकर जब कश्मीरी पंडित गुरूगोविंद सिंह के पास अपनी रक्षा के लिए पहुंचे तो उन्होने अपने पिता तेग बहादुर सिंह को कश्मीरी पंडितो की रक्षा करने के लिए भेज दिया। गुरूद्वारा के ज्ञानी त्रिलोचन सिंह ने बताया कि सिक्ख समाज का इतिहास बेहद स्वर्णीम एवं गौरवशाली रहा है,यहा जन्म लेने वाले गुरू एवं वीर सपुत हमेंशा से धर्म की रक्षा के लिए अपना शीश न्यौछावर किये है। उनका कहना था कि गुरू गोविंद सिंह ने अपने चार पुत्रो का बलिदान देकर देश के हजारो पुत्रो की जान बचायी थी।

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