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छत्तीसगढ़

एकादशी व्रत करने से मिलती है रोगों से मुक्ति: यशवंत महाराज

महासमुंद । पुराना रायपुर नाका में पंडा परिवार द्वारा आयोजित भागवत महापुराण यज्ञ में महाराज डॉक्टर यशवंत शर्मा ने छठवें दिन श्रोताओं को सुदामा चरित्र और भगवान कृष्ण की लीलाओं की कथा सुनाई। महाराज ने कहा भगवान कृष्ण ने मित्र सुदामा के साथ मित्रता को निभा यह ज्ञान एवं शिक्षा प्रदान की मित्रता से बढ़कर और कुछ नहीं होता। सच्चे मित्र व बंधु की परीक्षा कठिन समय में ही होती है। भगवान ने मित्रता निभा यह भी सिद्ध किया के मित्रता के बीच में धन संपत्ति यश कीर्ति सब छोटा है और सच्चे मित्र के लिए मित्र का उत्थान व विकास और जनकल्याण संभव है। जैसा संग वैसा रंग आज के परिवेश में प्रत्येक जनमानस को भगवान श्री कृष्ण की उसे उदारवादी एवं प्रेम से परिपूर्ण मित्रता को अपने जीवन में आदर्श के रूप में देखना और और उसका अनुसरण करना चाहिए। आज की मित्रता में समर्पण एवं सद्भाव का लोक हो रहा है ऐसे में भगवान श्री कृष्ण एवं सुदामा की मित्रता हम सभी के लिए वह मिशाल है। भगवान श्री कृष्ण ने द्वारिकापूरी का निर्माण कर एक अच्छे इंजीनियरिंग का नमूना प्रस्तुत किया। यह अद्भुत विधा और कला हमारे भारत में ही है इसीलिए भारत को विश्व गुरु कहा जाता है। भगवान कृष्ण ने ही गीता जैसे ज्ञान एवं वेद वेदांत की जानकारी दी। भगवान कृष्ण ही एक ऐसे भगवान है जिनके पास 16 कलाएं हैं। इन्ही से विधाओं का विज्ञान का प्रचार प्रसार हुआ। भगवान कृष्ण की लीला में अनेक रहस्य है। मानव जाति को एक उन्नत एवं उच्च व कुशल जीवन जीने का मार्ग भगवान ने बताया। मार्शल आर्ट के जनक भगवान श्री कृष्ण हैं। उनकी मुरली की मधुर धुन गौ, ऋषि-मुनि मनुष्य एवं मनुष्यों का मन मोह लेते थे। महाराज ने कथा के दौरान एकादशी व्रत की महत्ता भी श्रोताओं को बताई। उन्होंने कहा कि एकादशी व्रतों का राजा है। इसलिए इसमें अन्न का सेवन वर्जित है। ऋषियों के अनुसार अन्न में संपूर्ण पाप आकर के निवास करते हैं। इसलिए एकादशी में अन्न का ग्रहण नहीं करना चाहिए। एकादशी व्रत रहने से हमें आध्यात्मिक एवं लौकिक दोनों लाभ प्राप्त होते हैं। आध्यात्मिक लाभ भगवत प्राप्ति एवं पुण्य की प्राप्ति और लौकिक में रोगों का नाश एवं स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। एकादशी पुण्यवर्धक एवं स्वास्थ्यवर्धक दोनों ही व्रत है वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी प्रमाणित है विज्ञान भी यह मानती है कि एकादशी व्रत में एक दिन निराहार रहने से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता हैं।

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