शतरंज की बिसात पर भारत सबसे युवा देश
44वीं शतरंज ओलंपियाड-2022, भारत में आयोजन होना गर्व की बात
– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
शतरंज खेल की शुरुआत कहां से हुई इस बात को लेकर जो तथ्य सामने आया है उससे स्पष्ट है कि यह खेल चतुरंगा के नाम से भारत में करीब 1500 वर्ष पहले खेल जाता था। ऐसा माना जाता है कि भारत में शतरंज खेल शुरू होने के पश्चात ईरान में खेला जाने लगा। परसिया जिसे ईरान फिर व्यापक रूप में ग्रेटर इरान कहते हैं जिसमें पश्चिम एशिया, मध्य एशिया, दक्षिण एशिया, मिनजियांग तथा कॉसासस तक का क्षेत्र शामिल है उस क्षेत्र में यह इस लोकप्रिय खेल का विकास हुआ। तत्पश्चात मुस्लिम देशों से होते हुए शतरंज की लोकप्रियता स्पेन के साथ यूरोप में फैल गई। आज की परिस्थिति में विश्व शतरंज फेडरेशन (फीडे) के द्वारा दुनिया के 200 देशों को इस खेल के लिए अधिकृत किया गया है। इसकी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए, नये खिलाड़ियों की खोज के लिए, उदयीमान खिलाड़ियों को उचित मंच देने के लिए फीडे द्वारा 20 जुलाई 1924 को फ्रांस में अंतर्राष्ट्रीय संघ का गठन किया गया और प्रतिभागियों के बीच पेरिस टूर्नामेंट सम्पन्न हुआ। अब तक 43 शतरंज ओलंपियाड हो चुके हैं। पंरतु भारत में उसका आयोजन कभी भी नहीं हुआ। वस्तुत: 2022 की चैंपियनशिप रूस में होना था परंतु रूस व यूक्रेन के बीच युद्ध जारी रहने के कारण इस स्पर्धा को भारत में कराने का निर्णय लिया गया। फिर भी भारत को मिली मेजबानी कोई साधारण उपलब्धि नहीं है। इसका श्रेय हमारे देश के राजनेताओं, शतरंज फेडरेशन के पदाधिकारियों के साथ विश्व स्तरीय शतरंज खिलाड़ियों को जाता है जिन्होंने अपनी योग्यता, परिश्रम, समर्पण, एकाग्रता के बल पर आज दुनिया में अपनी छाप छोड़ी है। भारत के विश्वनाथन आनंद 2000 से 2022 तक, फिर 2007 से 2013 तक विश्व चैंपियन रहें। वर्तमान में भारत के सात पुरुष खिलाउ़ी पहले सौ स्थान पर विश्व में स्थान बनाए हुए हैं। उनमें विदित संतोष गुजराती, पेंटाल हरिकृष्णा, निहाल सरीन, इरीगैसी अर्जुन, गुकेश डी. शामिल हैं। इसी तरह महिलाओं में हरिका ड्रोनावल्ली(11), तानिया सचदेव(50), पद्मिनी राउत (77), वैशाली आर(29), वंतिका अग्रवाल (89) हैं। भारत में 44वीं शतरंज ओलंपियाड करवाने के लिए हमारे युवा शतरंज खिलाड़ियों के फौज ने बहुत मदद की। आज संसार में भारत के 21 युवा खिलाड़ी प्रथम सौ में अपना स्थान बना चुके हैं। उदयीमान, प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की उपस्थिति को देखते हुए हम कह सकते हैं कि भारत में शतरंज की संभावना बहुत अधिक है और गैर आलंपिक खेल होते हुए भी हमारी युवा पीढ़ी इस खेल को अपनी पहली पसंद बनाए हुए हैं। हमारे युवा खिलाड़ियों में निहाल सरीन, अर्जुन ऐरीगैसी, रौनक साधवानी, गुकेश डी., पी. रमेशबाबू, संकल्प गुप्ता आदि प्रमुख हैं। इनमें से पी. रमेश बाबू और गुकेश डी ने 12 वर्ष की उम्र में ग्रैंडमास्टर का खिताब प्राप्त किया। यह अत्यंत गौरव की बात है क्योंकि ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाले ये दोनों खिलाड़ी विश्व में दूसरा व तीसरा नंबर रखते हैं। युवा महिला खिलाड़ियों में वंतिका अग्रवाल, दिव्या देशमुख, ए.प्रियंका, रक्षिता रवि, सविता श्री बी प्रमुख हैं। शतरंज का खेल बैठकर खेला जाता है अत: इसमें शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त रहने की चुनौती प्रत्येक खिलाड़ी की होती है। दूसरी बड़ी बात मुकाबले में उम्र को नहीं देखा जाता। सीनियर से जूनियर की भिड़ंत कभी भी हो सकती है। अत: अनुभव के साथ शांतचित्त होकर खेलने से इस खेल में सफलता मिलने की उम्मीद ज्यादा होती है। 44वीं शतरंज ओलंपियाड से अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कई शतरंज खिलाड़ियों के बीच मुकाबला को देखने से युवाओं को सीखने का अच्छा अवसर मिलेगा।