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छत्तीसगढ़

बैगा ने पत्नी के इलाज में बरती लापरवाही तो पति ने कर दी उसकी हत्या

पत्थलगांव । बैगा ने पत्नी के इलाज में लापरवाही बरती तो उसके पति ने बैगा की लाठी डंडे से पिटायी कर निर्मम हत्या कर दी। अंधे कत्ल की गुत्थी सुलझाने मे पुलिस को 24 घंटे के भितर बडी सफलता हासिल हुयी है। यहा के थाने मे आज प्रेस कंाफ्रेस कर हत्या के अनसुलझे पहलुओ को पुलिस ने सुलझाते हुये बताया कि मृतक गांव में झाड फूंक के साथ बैगा गुनिया का काम करता था,उसने राताखाड थाना सीतापुर निवासी सुखीराम आत्मज छोटेधनसाय उम्र 48 वर्ष की पत्नी का झाड फूंक के जरिये ईलाज करने के नाम पर मुर्गा,बकरा एवं दारू भेंठ मे लिया था,परंतु बैगा भुखनराम ने उक्त सामान लेकर भी अपने झाडफूंक के जरिये आरोपी सुखीराम की पत्नी को ठीक नही कर पाया,जिससे दुखी होकर आरोपी सुखीराम ने दिन गुरूवार की देर शाम मोटे डंडे से बैगा भूखन राम की पिटायी करते हुये निर्मम हत्या कर दी। अनुविभागीय अधिकारी पुलिस हरीश पाटिल ने प्रेस कांफ्रेस को संबोधित करते हुये बताया कि 10 फरवरी दिन शुक्रवार को फोन के माध्यम से सूचना मिली थी कि बालाझार के चिमटापानी मे रहने वाले भूखन राम अपने घर मे लगी खटिया पर मृत अवस्था मे पाया गया है,तफ्तीश करने पर भूखन राम के सिर पर चोट के निशान पाये गये थे,जिसके कारण वह खुन से लतपथ हो गया था,मामले मे विवेचना करते हुये पता चला की मृतक झाड फूंक का कार्य करता था,वह घर पर अकेला ही रहा करता था,सभी पहलुओ पर जांच करने पर सुखीराम निवासी राताखाड थाना सीतापुर की पत्नी का स्वास्थ्य खराब होने पर बैगा गुनिया ईलाज कराने मृतक के पास आया करता था।।
इलाज नही कर पाया तो की हत्या-:झाडफूंक के कार्य को जांच का विषय बनाया गया था,एस.डी.ओ.पी हरीश पाटिल ने बताया कि आरोपी को हिरासत मे लेकर पूछताछ करने पर उसने अपना अपराध कबूल करते हुये बताया कि गुरूवार की देर रात 9 बजे उसकी मृतक से पत्नी के ईलाज को लेकर काफी कहासुनी हो गयी थी,जिससे वह गुस्साकर मृतक के सिर पर लाठी डंडे से वार कर दिया,जिससे घटना स्थल पर ही बैगा की मौत हो गयी। इस पूरे मामले की कार्यवाही मे एस.डी.ओ.पी हरीश पाटिल,थाना प्रभारी भास्कर शर्मा,संतोष तिवारी,वैंकट रमन पाटले,अजय खेस्स,पवन पैंकरा एवं अन्य कर्मचारीयों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।।
ग्रामीण क्षेत्र में आज भी जारी अंधविश्वास-:आदिवासी बाहुल्य ईलाका होने के कारण आज भी यहा के ग्रामीण क्षेत्र मे झाडफूंक एवं बैगा गुनिया पर लोग ज्यादा विश्वास करते है। यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष झाडफूंक के कारण असमय ही लोग अपनी जान गंवा रहे है,ऐसा यहा सर्पदंश के मामलो मे भी अधिकांश बार देखने को मिलता है जब ग्रामीण क्षेत्र के लोग झाडफूंक के चक्कर में फंसकर सर्पदंश पीडि़त की जान समय से पहले ही ले लेते है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा क्षेत्र जागरूकता के अनेक कार्य किये जाते है,परंतु उसके बाद भी चिकित्सा के नाम पर ग्रामीण क्षेत्र में झाड़ फूंक का अंधविश्वास सर चढ़कर बोल रहा है।

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