खेल – मनोरंजन

युवा पीढ़ी को आकर्षित करने में सफल हुए आयोजक

प्रो. कबड्डी लीग: 2014 से अनवरत जारी, 2022 में खेला जा रहा 9 वां सत्र

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
अंतर्राष्ट्रीय स्तर के गिने-चुने खेल होते हैं जो किसी देश के गांव-गांव तक प्रसद्धि होते हैं। जिनके खेलने के लिए कोई भी सूखा धरातल काम आ जाता है। कम समय अवधि में खेल समाप्त हो जाता है। न्यूनतम धनराशि खर्च करके किसी स्थानीय स्तर के टूर्नामेंट को आयोजित किया जा सकता है। और तो और खेलने के लिए पोशाक के अलावा बहुत कम इक्वीपमेंट की आवश्यकता होती है। इस तरह के खेलों में कबड्डी का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। प्राचीन इतिहास पर नजर डालने से स्पष्ट हो जाता है कि कबड्डी का खेल भारत की देन है। गांवों में बसे होने की वजह से शारीरिक रूप से चुस्त दुरुस्त रहने के लिए कबड्डी जैसे खेलों का जीवन में बहुत महत्व हुआ करता है। गांवों में दिनभर अपना कामकाज निपटाकर या फिर सेना में रहते हुए मनोरंजन के लिए कबड्डी जैसे खेल समय निकालने के लिए सर्वोत्तम साधन हुआ करता था। हमारे देश में 1982 में एशियाई खेलों के दौरान रंगीन टेलीविजन के माध्यम से स्पर्धाओं का जीवंत प्रसारण आरंभ हुआ। इस प्रसारण ने व्यवसायियों, औद्योगिक घरानों के नीति निर्धारण करने वालों को अपने उत्पाद का प्रचार-प्रसार करके आय अर्जित करने की नई सोच दी। इस तरह खेल तथा विज्ञापन ने मीडिया से मिलकर भारत में व्यवसाय करने की नई परिकल्पना को जन्म दिया। इस दिशा में भारत में सबसे पहले 2008 से क्रिकेट के इंडियन प्रीमियर लीग की शुरुआत हुई। फिर 2014 में प्रो-कबड्डी लीग का आरंभ हुआ। सौभाग्य से मीडिया और खेल की यह जुगलबंदी चल निकली और क्रिकेट, कबड्डी के चैंपियनशिप से उसके सहभागी करोड़ों रुपए कमा रहे हैं साथ ही इन दोनों खेलों की लोकप्रियता गली-मुहल्ले तक पहुंच गई है। कबड्डी में प्रतिभाशाली खिलाड़ी उभरकर आए हैं। अनेक खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों, निर्णायकों, सपोर्ट स्टाफ आदि का जीवन स्तर सुधर गया है। 2014 के पहले सत्र में जयपुर पिंक पेंथर्स, दूसरे सत्र में यू मुंबा, तीसरे, चौथे, पांचवे सत्र में पटना पायरेट्स, छठे में बेंगलुरू बुल्स, सातवे में बेंगाल वारियर्स, आठवें में दबंग दिल्ली केसी ने खिताब जीता। कबड्डी के खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन के द्वारा न सिर्फ दर्शकों/खेलप्रेमियों का दिल जीता बल्कि अनेक कीर्तिमान स्थापित किया।
प्रत्येक सत्र में क्रमश: स्पर्धा के खिलाड़ी, टाप रेडर और टाप डिफेंडर का खिताब जीतने वाले खिलाड़ियों में 2014 में अनूप कुमार, राहुल चौधरी, मंजीत छिल्लर, 2015 में मंजीत छिल्लर, काशिंग अडाके, रविंद्र पहल, रोहित कुमार, रिशांक देवाडिगा, संदीप नारवाल, 2016 के चौथे सत्र में प्रदीप नारवाल, राहुल चौधरी, फजल अट्राचाली, पांचवे सत्र में प्रदीप नारवाल, सुरेंदर नाडा, छठे सत्र में पवन कुमार सेहरावत, प्रदीप नारवाल, नवीन कुमार, सातवें सत्र में नवीन कुमार, पवन कुमार सेहरावत, फजल अट्राचाली तथा आठवें सत्र में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी नवीन कुमार, टाप रेडर पवन कुमार सेहरावत और टाप डिफेंडर मोहम्मड्रेजा चियानेह रहे। इस प्रकार 2022 के नौंवे सत्र तक प्रो कबड्डी लीग न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के करीब 40-50 देशों में कबड्डी की अपनी पहचान बनाने में कामयाब रही। इन दिनों क्रिकेट, फुटबाल की विश्व कप के दौरान भी प्रो कबड्डी स्पर्धा शानदार ढंग से खेली जा रही है। भारत में इसकी सफलता इस बात से साबित होती है कि प्रो कबड्डी के दर्शकों की संख्या भारत में क्रिकेट के बाद दूसरे स्थान पर बनी हुई है। कबड्डी के खेल को आधुनिक रूप देकर उसे आज की युवा पीढ़ी में लोकप्रिय बनाने का प्रयास सफल रहा है।

Related Articles

Back to top button